यलवर्ती नायुदम्मा

भारतीय रासायनिक इंजीनियर

यलवर्ती नायुदम्मा (तेलुगु: యలవర్తి నాయుడమ్మ) [1][2] (१० सितम्बर १९२२ - २३ जून १९८५) भारत के राशायन अभियन्ता और वैज्ञानिक थे जिनका एयर इंडिया फ़्लाइट 182 (एम्परर कनिष्क बॉम्बिंग) में निधन हुआ।[3]

यलवर्ती नायुदम्मा
चित्र:YNAYUDAMMA.JPG
नाय्दम्मा
जन्म यलवर्ती नायुदम्मा
10 सितम्बर 1922
यलावर्रू, गुन्टूर जिला, आन्ध्र प्रदेश, भारत
मौत 23 जून 1985(1985-06-23) (उम्र 62)
अन्ध महासागर, दक्षिण आयरलैण्ड

परिचय संपादित करें

नायुदम्मा का जन्म यलवरू गाँव के निकट तेनाली (भारतीय राज्य आन्ध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में) में हुआ।

उनकी प्राथमिक शिक्षा गाँव के ही उच्च माध्यमिक विद्यालय में हुई। उन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से रसायन प्रोद्योगिकी में स्नातक की शिक्षा पूर्ण की और उसके बाद मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ़ लेदर टेक्नोलोजी में चमड़ा प्रौद्योगिकी का एक पाठ्यक्रम पूर्ण किय। उन्होंने चेन्नई स्थित सेंट्रल लेदर रिसर्च इंस्टिट्यूट के प्राथमिक विकास में अपना योगदान दिया। उनपर संस्थान को अन्तर्राष्ट्रीय पहचान देने की जिम्मेदारी थी।[4]

उनका विवाह वाय॰ पवन से हुआ। उनके दो सन्तानें हुई।[3] उनके निधन के बाद उनकी पत्नी ने खुदकुशी कर ली।[5]

सम्मान और पद संपादित करें

उन्हें पद्म श्री सहित विभिन्न राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था।

नायुदम्मा को १९८३ में श्री राज-लक्ष्मी फाउंडेशन, चेन्नई ने राज-लक्ष्मी पुरस्कार से सम्मानित किया।

उन्हें वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद के महानिदेशक तथा १२ जून १९८१ से २७ अक्टूबर १९८२ तक जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के चौथे कुलपति के पदों पर नियुक्ति मिली।[2]

डॉ॰ वाय॰ नायुदम्मा नेशनल अवार्ड संपादित करें

इस पुरस्कार को प्राप्त करने वालों में टी॰ रामासामी, ए॰ सिवथानु पिल्लई, नोरी दत्तत्रेयुडू, साम पित्रोदा, जी माधवन नायर, कोटा हरिनारायण, वी॰के॰ अत्री, आर॰ चिदम्बरम, आर॰ए॰ माशेलकर, जे॰एस॰ बजाज, कृष्णास्वामी कस्तूरीरंगन, वर्गीज कुरियन, सैयद ज़हूर क़ासिम, एम॰जी॰के॰ मेनन और एम॰एस॰ स्वामीनाथन शामिल हैं।[6]

वर्ष २००९ का पुरस्कार सुरक्षा वैज्ञानिक डॉ॰ विजय कुमार सारस्वत को मिला जिन्होंने अग्नि-३ मिशाइल को लगातार तीन बार प्रक्षेपित करने में सक्षम रहे।[7]

टिप्पणी संपादित करें

  1. "Nayudamma Site". मूल से 21 दिसंबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 दिसंबर 2014.
  2. "संग्रहीत प्रति" (PDF). मूल (PDF) से 8 अक्तूबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 दिसंबर 2014.
  3. "Public hearing Volume 11 Archived 2014-12-04 at the वेबैक मशीन" (). Commission of Inquiry into the investigation of the Bombing of Air India Flight 182 (Commission d’enquête relative aux measures d’investigation prises à la suite de l’attentat à la bombe commis contre le vol 182 d’Air India). Friday अक्टूबर 13, 2006. p. 1034 (PDF 39-59).
  4. Nayudamma and CLRI: http://www.clri.org/Default.htm Archived 2008-09-22 at the वेबैक मशीन
  5. "Public hearing Volume 11 Archived 2014-12-04 at the वेबैक मशीन" (). Commission of Inquiry into the investigation of the Bombing of Air India Flight 182 (Commission d’enquête relative aux measures d’investigation prises à la suite de l’attentat à la bombe commis contre le vol 182 d’Air India). Friday अक्टूबर 13, 2006. p. 1037-1038 (PDF 42-43). "After only a few hours in Cork, I had to rush back to India to see my mother. I flew back in silence only to arrive to the next blow; the news that my mother had died from her suicide before I could reach her."
  6. "The Hindu : Andhra Pradesh / Guntur News : Missile Man-II, looking ahead and farther". मूल से 5 नवंबर 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 दिसंबर 2014.
  7. "The Hindu : Andhra Pradesh / Guntur News : Nayudamma award for V.K. Saraswat". मूल से 5 नवंबर 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 दिसंबर 2014.