यशोदा

हिंदू धर्मग्रंथों में, यशोदा को भगवान श्रीकृष्ण की पालक-माता

हिंदू धर्मग्रंथों में, यशोदा को भगवान श्रीकृष्ण की पालक-माता, नंद बाबा की पत्नी और रोहिणी की बहन कहा गया है।[1] भागवत पुराण के अनुसार, कृष्ण का जन्म देवकी के गर्भ से मथुरा के राजा कंस के कारागार में हुआ, लेकिन कृष्ण के पिता वसुदेव नवजात कृष्ण को अपने चचेरे भाई नंद बाबा के पास गोकुल में लाए, ताकि कृष्ण को मथुरा के राजा व देवकी के भाई कंस से उनकी रक्षा की जा सके। कृष्ण का पालन पोषण यशोदा ने किया।

यशोदा
वात्सल्य, हर्ष, यश, मातृत्व और कीर्ति की अधिष्ठात्री देवी, श्री कृष्ण और देवी योगमाया की माता

राजा रवि वर्मा श्री कृष्ण और इनकी प्रिय माता यशोदा
अन्य नाम मैया, कृष्णजन्नी
संबंध श्री कृष्ण, और माता दुर्गा की माता
निवासस्थान वृंदावन और गौ लोक
अस्त्र माखन का मटका और छड़ी
जीवनसाथी नंद
माता-पिता
  • गिरिभानु (पिता)
  • पद्मावती (माता)
भाई-बहन रोहिणी (वसुदेव की पत्नी)
संतान कृष्ण, बलराम, योगमाया
शास्त्र देवी भागवत पुराण, वेद, भागवत पुराण, महाभारत, विष्णु पुराण और स्कंद पुराण
त्यौहार यशोदा जयंती
यशोदा और नंद कृष्ण को झुलाते हुए।
बालक कृष्ण को स्नान कराती यशोदा - भागवत पुराण की एक हस्तलिपि से १५वीं सदी।

यशोदा और कृष्ण

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भारत के प्राचीन धार्मिक ग्रंथों में बालक कृष्ण की लीलाओं के अनेक वर्णन मिलते हैं। जिनमें यशोदा को ब्रह्मांड के दर्शन[2], माखनचोरी और उसके आरोप में ओखल से बाँध देने की घटनाओं[3] का सूरदास ने सजीव वर्णन किया है[4]। इन पदों में सूर का वर्णन वात्सल्य रस की प्रतीति भक्तिरस के रूप में व्यक्त हुई है[5].।

यशोदा और बलराम

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यशोदा ने बलराम के पालन पोषण की भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जो रोहिणी के पुत्र और सुभद्रा के भाई थे। उनकी एक पुत्री का भी वर्णन मिलता है जिसका नाम एकांगा था।

  1. Subramaniam, Kamala. Srimad Bhagavatam. Bharatiya Vidya Bhavan, 1979. पृ॰ 320.
  2. "कृष्ण और यशोदा की कथा". मूल से 14 सितंबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 मार्च 2008.
  3. "ओखले से बंधे कृष्ण". मूल से 16 अक्तूबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 मार्च 2008.
  4. "मातृ वचन". मूल से 9 जून 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 मार्च 2008.
  5. "वात्सल्य". मूल से 9 जून 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 मार्च 2008.

बाहरी कड़ियाँ

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श्री कृष्ण की मौत कैसे हुई [मृत कड़ियाँ]

कृष्ण और यशोदा की कथा