य़ुएर्गेन कुर्थ्स (जन्म मार्च ११, १९५३, अरेंद्सी / अल्त्मार्क), एक जर्मन भौतिकविद् और गणितज्ञ हैं। य़ुएर्गेन कुर्थ्स, पाट्सडैम इंस्टिट्यूट फॉर क्लाइमेट इम्पैक्ट रिसर्च (http://www.pikpotsdam.de/members/kurths[मृत कड़ियाँ]) में ट्रांस्दिस्सिप्लिनारी कॉन्सेप्ट्स नामक अनुसंधान डोमेन के चेयर तथा हम्बोल्ट विश्वविद्यालय, बर्लिन के भौतिकी संस्थान में अरेखीय गतिकी के प्रोफेसर हैं, तथा इंस्टिट्यूट फॉर काम्प्लेक्स सिस्टम्स एंड मैथमेटिकल बायोलॉजी, किंग्स कॉलेज, एबरडीन विश्वविद्यालय (यूके) में जटिल तंत्र जीव विज्ञान के सिक्स्थ सेंचुरी चेयर भी हैं। उनका शोध कार्य मुख्यतः अरेखीय भौतिकी तथा जटिल तंत्र विज्ञान तथा इनका उपयोग कर भू-तंत्र, कार्यिकी, तंत्र जीव विज्ञान और अभियान्त्रिकी के चुनौतीपूर्ण सवालों के हल के प्रयोग से संबंधित हैं।

य़ुएर्गेन कुर्थ्स पाट्सडैम इंस्टिट्यूट फॉर क्लाइमेट इम्पैक्ट रिसर्च में।

य़ुएर्गेन कुर्थ्स ने रॉस्टॉक विश्वविद्यालय में गणित का अध्ययन किया और वर्ष १९८३ में जीडीआर की विज्ञान अकादमी से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त करने के उपरांत वर्ष १९९१ में रॉस्टॉक विश्वविद्यालय से सैद्धांतिक भौतिकी में हबिलिततिओन की उपाधि प्राप्त की। वर्ष १९९१ मैक्स प्लैंक सोसाइटी के एक विशेष कार्यक्रम में उनको पूर्वी जर्मनी में काम कर रहे कुछ वैज्ञानिकों में से, एक नए वर्किंग ग्रुप के निर्देशक के रूप में चुना गया। उन्होंने अरेखीय गतिकी पर एक ऐसे शोध समूह का का गठन किया हैं जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध हैं। उन्हें वर्ष १९९४ में पाट्सडैम विश्वविद्यालय में सैद्धांतिक भौतिकी/अरेखीय गतिकी की पूर्ण प्रोफेसर चेयर मिली। वे वहां विज्ञान संकाय के डीन (१९९६ -१९९९) रहे और वर्ष १९९४-२००८ के बीच इंटरडिसिप्लिनरी सेण्टर फॉर डायनामिक्स ऑफ़ काम्प्लेक्स सिस्टम्स के संस्थापक निदेशक भी रहे। वे ळेइब्निश-कोल्लेग पाट्सडैम (https://web.archive.org/web/20131006131808/http://www.leibnizkollegpotsdam.de/) के संस्थापक निदेशक थे। वर्ष २००८ में उनको पाट्सडैम इंस्टिट्यूट फॉर क्लाइमेट इम्पैक्ट रिसर्च में ट्रांस्दिस्सिप्लिनारी कॉन्सेप्ट्स अनुसंधान डोमेन को पुन: प्रारंभ करने के लिए बुलाया गया, ताकि जटिल तंत्र के दृष्टिकोण को भू-तंत्र के शोद में समलित किया जा सके और साथ ही हम्बोल्ट विश्वविद्यालय, बर्लिन में भौतिकी संस्थान में अरेखीय गतिकी के एक प्रोफेसर बने, २००९ इंस्टिट्यूट फॉर काम्प्लेक्स सिस्टम्स एंड मैथमेटिकल बायोलॉजी, किंग्स कॉलेज, एबरडीन विश्वविद्यालय (यूके) में जटिल तंत्र जीव विज्ञान के सिक्स्थ सेंचुरी चेयर भी बने।

अनुसंधान प्रभाव

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समय श्रृंखला विश्लेषण और सौर गतिविधि परिघटना में उसके उपयोग के बाद उनकी रूचि अस्सी के दशक में जटिल तंत्र, अरेखीयता तथा कैआस सिद्धांत की तरफ हुई। य़ुएर्गेन कुर्थ्स को विशेष रूप से तुल्यकालन दृग्विषय, पुनरावृत्ति, संसजन अनुकम्पन, जटिलता तथा कारण-कार्य-सिद्धान्त के मापों तथा साथ ही जटिल नेटवर्क की गतिकी तथा स्थिरता पर अत्यंत प्रभावशाली योगदान के लिए जाना जाता हैं। इसी कारण बाद में उन्हों ने मूल जटिल तंत्र सिद्धांत और उसके भू-तंत्र, मानव मस्तिष्क और अन्य तंत्रों जिन सभी में अत्य-अधिक जटिलता और अरेखीयता पाई जाती है में उपयोग पर शोद किया। य़ुएर्गेन कुर्थ्स वैज्ञानिक सहयोगियों के एक बड़े नेटवर्क को रखते हैं, तथा लगभग २० देशों से उनके ६० से भी अधिक पीएचडी छात्र रहे हैं, जिनमें से ३० विभिन देशों में स्थाई पदों पर हैं।

वह ५०० से अधिक लेख और ८ पुस्तकें प्रकाशित कर चुके हैं। वर्तमान में वे १० से अधिक वैज्ञानिक पत्रिकाओं के संपादकीय बोर्ड में सम्मिलित हैं, जिनमें से कुछ निम्: - CHAOS, Philosoph.Trans. Royal Soc. A, PLoS ONE, Europ. J. Physics ST, J. Nonlinear Science and Nonlinear Processes in Geophysics and of the Springer Series Complexity.

अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक गतिविधियां

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कुर्थ्स अनेकों अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक गतिविधियों के मुखिया रहे हैं, जिनमे से प्रमुख हैं - प्रेजिडेंट, यूरोपियन भू-विज्ञान संग की नोन्लिनेअर प्रोसेसेज इन जेओसाइंस दिविसन (२००० -२००५). उनके अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के प्रयासों के कारण उन्हें यूरोपीय संघ और DFG के अनेक बड़े शोध प्राजेक्ट्स को आयोजित करना का मोका मिला, तथा वे वर्ष २०११ से जटिल नेटवर्क पर अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान प्रशिक्षण समूह (DFG और ब्राजील) के वक्ता भी हैं (http://www.physik.hu-berlin.de/irtg1740/)।[मृत कड़ियाँ]

पुरस्कार

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य़ुएर्गेन कुर्थ्स अमेरिकन फिजिकल सोसाइटी और फ्रौन्होफेर सोसाइटी (जर्मनी) के निर्वाचित फेलो हैं। उन्हें २००५ अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट - सीएसआईआर (भारत) अनुसंधान पुरस्कार मिला। वे वर्ष २०१० में एकेडेमिया यूरोपेया के और २०१२ में मकेदोनिअन विज्ञान अकादमी सदस्य बने। लोबाचेव्स्की विश्वविद्यालय, निज्ह्न्य, नोवगोरोड ने २००८ में डॉ॰ होनोरिस कौसा की उपाधि प्रदान की, चेर्निशेव्स्क्य विश्वविद्यालय, सारातोव ने भी उनको यह उपाधि प्रदान की हैं। वे पॉट्सडैम विश्वविद्यालय में मानद प्रोफेसर और साउथ-ईस्ट विश्वविद्यालय, नानजिंग में अतिथि प्रोफेसर है। उन्हें यूरोप के भू-विज्ञान संघ ने २०१३ के लेविस फ्री रिचार्डसन मैडल के लिया चुना हैं (https://web.archive.org/web/20130514013255/http://www.egu.eu/awards-medals/lewis-fry-richardson/2013/jurgen-kurths/)

य़ुएर्गेन कुर्थ्स के अत्यंत प्रभावशाली लेख (एक चयन) :

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  1. J. Kurths, A. Voss, P. Saparin, Quantitative Analysis of Heart Rate Variability, CHAOS 5, 88-94 (1995)
  2. M.G. Rosenblum, A.S. Pikovsky and J. Kurths, Phase Synchronization of Chaotic Oscillators, Phys. Rev. Lett. 76, 1804-1807 (1996)
  3. A.S. Pikovsky and J. Kurths, Coherence Resonance in a Noise-Driven Excitable System, Phys. Rev. Lett. 78, 775-778 (1997)
  4. C. Schäfer, M.G. Rosenblum, J. Kurths and H. Abel, Heartbeat synchronized with ventilation, NATURE 392, 239-240 (1998)
  5. A. Pikovsky, M. Rosenblum and J. Kurths, Synchronization: A Universal Concept in Nonlinear Sciences (Cambridge University Press, 2001)
  6. S. Boccaletti, J. Kurths, G. Osipov, D. Valladares and C. Zhou, The Synchronization of Chaotic Systems, Phys. Rep. 366, 1-101 (2002)
  7. C.S. Zhou, A.E. Motter and J. Kurths, Universality in the Synchronization of Weighted Random Networks, Phys. Rev. Lett. 96, 034101 (2006)
  8. N. Marwan, M. Romano, M. Thiel and J. Kurths, Recurrence Plots for the Analysis of Complex Systems, Phys. Rep. 438, 240-329 (2007)
  9. P. van Leeuwen, D. Geue, M. Thiel, D. Cysarz, S. lange, M. Romano, N. Wessel, J. Kurths and D. Grönemeier, Influence of paced maternal breathing on fetal-maternal heart rate coordination, Proc. Nat. Acad. Sc. U.S.A. 106, 13661-13666 (2009) (incl. a commentary about)
  10. J. Donges, N. Marwan, Y. Zou and J. Kurths, The backbone of the climate network, Europhys. Lett. 87, 48007 (2009).
  11. Ye Wu, Changsong Zhou, Jinghua Xiao, Jürgen Kurths, and Hans Joachim Schellnhuber., PNAS 2010 107 (44) 18803-18808 (2010)
  12. Menck, P.J., Heitzig, J., Marwan, N., Kurths, J.: How basin stability complements the linear-stability paradigm, Nature Physics 9, 89-92 (2013).


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