यहोवा

प्राचीन इज़राइल के राष्ट्रीय देवता और यहूदाही
(याहवेह से अनुप्रेषित)

याह्वे (इब्रानी: יהוה‎) यहूदी धर्म में और इब्रानी भाषा में परमेश्वर का नाम है। यहूदी मानते हैं कि सबसे पहले ये नाम परमेश्वर ने मूसा को सुनाया था। ये शब्द ईसाईयों और यहूदियों के धर्मग्रन्थ बाइबिल के पुराने नियम में कई बार आता है।

येहुद मदीनाता के फारसी प्रांत से चौथी शताब्दी ईसा पूर्व द्रचम (क्वार्टर शेकेल) सिक्का, संभवतः एक पंखों वाले और पहिया वाले सूर्य-सिंहासन पर बैठे याहवे का प्रतिनिधित्व करता है

नोट करें कि यहूदियों की धर्मभाषा इब्रानी (हिब्रू) की लिपि इब्रानी लिपि में कवल व्यंजन लिखे जा सकते हैं और ह्रस्व स्वर तो बिलकुल ही नहीं। सो ये शब्द चार व्यंजनों से बना हुआ है : י (योद) ה (हे) ו (वाव) ה (हे), या יהוה यानि कि य-ह-व-ह। इसमें लोग विभिन्न स्वर घुसाकर इसे विभिना उच्चारण देते हैं, जैसे यहोवा, याहवेह, याहवेः, जेहोवा, आदि (क्योंकि प्राचीन इब्रानी भाषा लुप्त हो चुकी है)। यहूदि लोग बेकार में ईश्वर (यहोवा) का नाम लेना पाप मानते थे, इसलिये इस शब्द को कम ही बोला जाता था। ज़्यादा मशहूर शब्द था "अदोनाइ" (अर्थात मेरे प्रभु)। बाइबिल के पुराने नियम / इब्रानी शास्त्रो में "एल" और "एलोहीम" शब्द भी परमेश्वर के लिये प्रयुक्त हुए हैं, पर हैरत की बात ये है कि यहूदी कहते हैं कि वो एक हि ईश्वर को मानते हैं, पर "एलोहीम" शब्द वहुवचन है !


यशायाह ४५:१८, हमें परमेश्वर का सही अर्थ समझाता है।

यहूदी और ईसाई मानते हैं कि यहोवा का शब्दिक अर्थ होता है : "मैं जो हूॅ॑ सो हूँ" -- अर्थात स्वयंभू परमेश्वर। जब बाइबल लिखी गयी थी, तब यहोवा यह नाम ७००० बार था। - निर्गमन ३:१५, भजन ८३:१८

इन्हें भी देखें

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