कालक्रम विज्ञान में युग (epoch, ऍपक) समय के किसी ऐसे क्षण को कहते हैं जिस से किसी काल-निर्धारण करने वाली विधि का आरम्भ किया जाए। उदाहरण के लिए विक्रम संवत कैलेण्डर को ५६ ईसापूर्व में उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने शकों पर विजय पाने के अवसर पर शुरू किया, यानि विक्रम संवत के लिए ५६ ईपू ही 'युग' है जिसे शून्य मानकर समय मापा जाता है।

इस जापानी रेल पास में 'जापानी वर्ष' के ख़ाने में हेईसेई युग का वर्ष १८ लिखा गया है जो सन् २००७ के बराबर है

कैलेण्डर

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सभी कालदर्शक किसी एक विशेष दिन से शुरू होते हैं और उसे आमतौर पर वर्ष ० या वर्ष १ का अंक देकर आगे बढ़ते हैं।उदाहरण के लिये,

  • जापान का औपचारिक कैलेण्डर हर नए सम्राट के उद्घाटन से ताज़ा आरम्भ होता है और उसे वर्ष १ बताता है। साथ ही हर सम्राट के युग को एक नया नाम दिया जाता है। ८ जनवरी १९८९ को जापान के सम्राट हिरोहितो का देहांत हुआ और नए सम्राट अकिहितो गद्दी पर विराजमान हुए। १९८९ सम्राट हिरोहितो के राज का ६४वाँ साल था और उनके युग का नाम 'शोवा' (Showa) युग था। नए सम्राट के युग का नाम 'हेईसेई' (Heisei) युग रखा गया। सन् १९८९ को सरकारी प्रयोग में 'शोवा ६४' और 'हेईसेई १' बुलाया जाता है। सन् २०१२ को 'हेईसेई २४' बुलाया जाता है।[1]
  • थाईलैंड के भूतपूर्व प्रधान मंत्री फिबुनसोंगख्राम ने १९४१ में घोषणा करी कि थाईलैंड का 'सुरियाखाती' नामक सौर कैलेण्डर ५४३ ईसापूर्व से वर्ष गिनेगा, क्योंकि वह महात्मा बुद्ध के देहांत का वर्ष था। इसके अनुसार सन् २०१२ थाई राष्ट्रीय वर्ष २५५५ है।[2]
  • इस्लाम के धार्मिक कैलेण्डर का नाम हिजरी है और यह सन् ६२२ में शुरू होता है जब पैग़म्बर​ मुहम्मद और उनके अनुयायी ने मक्का से मदीना प्रवास किया था - 'प्रवास' को अरबी भाषा में 'हिज्र' या 'हिजरत' (هِجْرَة) कहते हैं।

खगोलशास्त्र

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पृथ्वी समेत लगभग सभी खगोलीय वस्तुएँ हमेशा हिलती रहती हैं या उनमें अन्य परिवर्तन आते रहते हैं (मसलन तारों की रौशनी ऊपर-नीचे होती रहती है) इसलिए अगर उनकी गति, स्थान या किसी अन्य चीज़ का माप बताना हो तो आवश्यक है कि यह भी स्पष्ट किया जाए कि यह माप किस समय के लिए बताया जा रहा है। खगोलशास्त्रियों के समुदाय समय-समय पर एक दिनांक को नया खगोलीय युग घोषित कर देते हैं और फिर उसका प्रयोग करते हैं - तारों की दूरियाँ, ग्रहों के अक्षीय झुकाव, गैलेक्सियों के सापेक्ष कान्तिमान (रौशनी) सभी उस युग के अनुसार बताई जाती हैं। समय गुज़रने के साथ ब्रह्माण्ड बदलता है और एक समय आता है जब उस खगोलीय युग पर जो वस्तुओं की स्थिति थी वह वर्तमान स्थिति से बहुत अलग हो जाती है। ऐसा होने पर आपसी सहमती बनाकर फिर एक नया खगोलीय युग घोषित किया जाता है और सभी वस्तुओं की स्थिति का उस नए युग के लिए अद्यतन किया जाता है। वर्तमान युग का नाम 'J2000.0' है और इसका बुनियादी क्षण १ जनवरी २००० की दिनांक को दोपहर के १२:०० बजे था।[3]

कम्प्यूटर

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संगणकों (कम्प्यूटरों) में समय का हिसाब रखा जाता है और अलग-अलग कम्प्यूटर प्रणालियों में अलग-अलग युगों का प्रयोग होता है। उदाहरण के लिए:

इन्हें भी देखें

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  1. Voices of Early Modern Japan, Constantine Nomikos Vaporis, pp. 40, ABC-CLIO, 2012, ISBN 978-0-313-39201-6, ... The Heisei era of Emperor Akihito began in 1989; hence, the year 2012 is known as Heisei 24 or the 24th Year of Heisei. Japanese newspapers continue to print both the Western dates and year-period names ...
  2. The Rough Guide to Thailand, Lucy Ridout, Penguin, 2009, ISBN 978-1-4053-9278-5, ... The Buddha 'died' at the age of eighty on the banks of a river at Kusinari in India – an event often dated to 543 BC, which is why the Thai calendar is 543 years out of synch with the Western one, so that the year 2010 AD becomes 2553 BE ...
  3. Statistical Orbit Determination, Byron Tapley, Bob Schutz, George H. Born, pp. 75, Academic Press, 2004, ISBN 978-0-08-054173-0, ... For example, the epoch J2000.0 is January 1, 2000, 12 hours ...
  4. Windows Forensic Analysis Toolkit: Advanced Analysis Techniques for Windows 7, Harlan Carvey, Elsevier, 2012, ISBN 978-1-59749-727-5, ... These time stamps are 64-bit FILETIME objects, as defined by Microsoft, which represent the number of 100-nanosecond intervals since January 1, 1601 ...