युद्धकालीन अर्थव्यवस्था

आधुनिक राज्य, युद्ध की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये उत्पादन करने हेतु जो अल्पकालिक व्यय करता है और जो आर्थिक कदम उठाता है, उनको युद्धकालीन अर्थव्यवस्था (वार इकनॉमी) कहते हैं। फिलिप ली बिलों (Philippe Le Billon) के अनुसार, "युद्धकालीन अर्थव्यवस्था, हिंसा को जारी रखने के लिये आवश्यक संसाधनों के उत्पादन की, उनको गतिशील बनाने की और उनके नियतन की प्रणाली है।"

जर्मन भाषा में लिखा एक पोस्टर जिसमें जनता को समझाया गया है कि युद्धकाल में किस तरह से साबुन और तेल का उपयोग कम किया जाय।

कई देश युद्धकाल में कार्य को अधिक योजनापूर्वक करना शुरू कर देते हैं, कई बार राशनव्यवस्था लागू करनी पड़ती है, अनिवार्य सैनिक सेवा चालू कर देते हैं (जैसे- द्वितीय विश्वयुद्ध के समय युनाइटेड किंगडम में महिला सेना, और बेविन बॉय्स (Bevin Boys) शुरू किये गये थे।)