रकाब

पतला फ्रेम ओर अंगूठी है की एक सवार के पैर रखती है

रकाब एक ऐसे खोल या गोले को कहा जाता है जिसमें घोड़े या ऐसे अन्य जानवर पर सवार व्यक्ति अपने पाऊँ टिकाता है। आम तौर पर दो रकाब होते हैं (एक दाएँ पाऊँ के लिए और एक बाएँ पाऊँ के लिए)। घोड़े पर चढ़ने के लिए भी इनका प्रयोग होता है। रकाब के प्रयोग से घुड़सवार अधिक जल्दी से जानवर पर सवार हो सकता है और घोड़े पर बैठे हुए उसका संतुलन भी ज़्यादा सही होता है। इस से यात्रा, शिकार और युद्ध में बहुत सहायता मिलती है। रकाब भिन्न प्रकारों और सामग्रियों की बनती है लेकिन अक्सर उसके ऊपर चमड़े या कपड़े के पट्टे होते हैं जिनसे उन्हें ऊपर-नीचे किया जा सके। इन पट्टों से अलग-अलग कदों के सवारों के लिए रकाब को ऊपर-नीचे किया जा सकता है और दोनों तरफ़ की रकाब को बराबर की ऊँचाई पर ठीक भी किया जा सकता है। माना जाता है कि रकाब का आविष्कार भारत में ५०० ईसापूर्व में हुआ था।[1][2]

एक आधुनिक रकाब

अन्य भाषाओँ में संपादित करें

अंग्रेजी में 'रकाब' को 'स्टिरप' (stirrup) कहते हैं।

इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. Horse Hoeing Husbandry, Fifth Edition, Jethro Tull, Aaron Brachfeld, Mary Choate, Coastalfields Press, ... The earliest stirrups were invented in India in about 500 BC and were a simple toe loop made of straps used for a mounting aid ...
  2. Inventions that changed the world, Rodney Castleden, Futura, 2007, ISBN 978-0-7088-0786-6, ... The horse was domesticated as early as 4500 BC It is not known how early people experimented with riding horses, but it is surprising that the stirrup was not invented until as late as 500 BC That innovation was made in India ...