रफी उश-शान बहादुर (1671 – 29 मार्च 1712) मुगल सम्राट बहादुर शाह प्रथम के तीसरे पुत्र थे।

जीवन और मुगल सेवा

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उनका जन्म राजकुमार मुअज्जम (बाद में बहादुर शाह प्रथम) और नूर-उन-निसा बेगम से हुआ, जो संजर नज्म-ए-सानी की बेटी थीं। वह 10 वर्ष के थे जब उन्हें उनके दादा औरंगजेब ने मलाकंद के चीलादार के रूप में उनकी मृत्यु तक नियुक्त किया था; फिर उनके पिता 1707 में सम्राट बने। उनके बड़े भाई जहाँदार शाह के साथ उनके भतीजे फर्रुखसियर ने उन्हें मार डाला। उसे आगरा के किले में दफनाया गया था। उनके बेटे रफ़ी उद-दरज़त और शाहजहाँ द्वितीय बाद में थोड़े समय के लिए भारत के मुगल सम्राट बने।

उनकी एक पत्नी रजियात-उन-निसा बेगम थी, जिसे प्रिंस सुल्तान मुहम्मद अकबर की बेटी सफियात-उन-निसा के नाम से भी जाना जाता है। वह सम्राट रफी उद-दरजात की मां थी।[1] उन्होंने 1695 में आगरा में शादी की थी, उसी दौरान उनके भाई जहान शाह ने उनकी बहन ज़कीत-उन-निसा बेगम से शादी की थी। एक और नूर-अन-निसा बेगम थी, जो शेख बकी की बेटी थी। वह सम्राट शाहजहाँ द्वितीय[2] और सम्राट मुहम्मद इब्राहिम की माँ थी।[3]

  1. Irvine, पृ॰ 419-20.
  2. Irvine, पृ॰ 146.
  3. Irvine, पृ॰ 76.

ग्रंथसूची

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  • Irvine, William, The Later Mughals [बाद के मुग़ल], लो प्राइस पब्लिकेशन्स, पृ॰ 146, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 81-7536-406-8