रमणिका गुप्ता ने विमर्श के रूप में हिंदी साहित्य में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।उन्होंने आदिवासी जीवन पर कई पुस्तकें लिखी हैं।वे प्रख्यात साहित्यकार,सामजिक कार्यकर्त्ता,समाजसेवा और राजनीति सहित कई क्षेत्रों से जुड़ी हुई थीं।[1]उन्होंने स्त्री विमर्श पर बेहतरीन काम किया और वह सामाजिक सरोकारों की पत्रिका ‘युद्धरत आम आदमी’ की संपादक भी थीं। उन्होंने झारखंड के हज़ारीबाग के कोयलांचल से मजदूर आंदोलनों को साहित्य के ज़रिये राष्ट्रीय स्तर पर पहुँचाने का काम किया। बिहार विधानसभा और विधान परिषद् में विधायक भी रही।[2]

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रमणिका गुप्ता
जन्म२२ अप्रैल, १९३०
सुनाम, पंजाब, भारत
मौत२६ मार्च, २०१९
नई दिल्ली, भारत
पेशालेखिका, सामाजिक कार्यकर्ता
राष्ट्रीयताभारतीय
कालआधुनिक काल
विधाविमर्श
विषयसामाजिक
उल्लेखनीय कामआपहुदरी

उनका जन्म २२ अप्रैल १९३० को पंजाब के सुनाम नामक स्थान पर तथा निधन 89 वर्ष की अवस्था में २६ मार्च २०१९ को नई दिल्ली में हुआ। मृत्यु से पूर्व वे झारखंड में मांडू के विधायक पद पर कार्यरत थीं। रमणिका गुप्ता की आत्मकथा ‘हादसे और आपहुदरी’ बेहद लोकप्रिय पुस्तक मानी जाती है। इसके अलावा, उनकी प्रमुख रचनाओं में ‘भीड़ सतर में चलने लगी है’, ‘तुम कौन’, ‘तिल-तिल नूतन’, ‘मैं आजाद हुई हूं’, ‘अब मूरख नहीं बनेंगे हम’, ‘भला मैं कैसे मरती’, ‘आदम से आदमी तक’, ‘विज्ञापन बनते कवि’, ‘कैसे करोगे बँटवारा इतिहास का’, ‘दलित हस्तक्षेप’, ‘निज घरे परदेसी’, ‘सांप्रदायिकता के बदलते चेहरे’, ‘कलम और कुदाल के बहाने’, ‘दलित हस्तक्षेप’, ‘दलित चेतना- साहित्यिक और सामाजिक सरोकार’, ‘दक्षिण- वाम के कठघरे’ और ‘दलित साहित्य’, ‘असम नरसंहार-एक रपट’, ‘राष्ट्रीय एकता’, ‘विघटन के बीज’ शामिल हैं।

  • आदिवासी अस्मिता का संकट[3]
  • दलित-चेतना साहित्यिक और सामाजिक सरोकार
  • दलित हस्तक्षेप
  • सीता मौसी
  • आपहुदरी
  • हादसे(2005)
  • युद्धरत आम आदमी- रमणिका गुप्ता द्वारा संपादित यह त्रैमासिक पत्रिका है।
  1. https://en.wikipedia.org/wiki/Ramnika_Gupta
  2. "संग्रहीत प्रति". मूल से 17 अगस्त 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1 अप्रैल 2020.
  3. रमणिका, गुप्ता (२०१५). आदिवासी अस्मिता का संकट. नई दिल्ली: सामयिक प्रकाशन.