रविदासिया अथवा रविदास पंथ सत्गुरु के रूप में श्रद्धेय रैदास की शिक्षाओं पर आधारित पंथ अथवा भारतीय धर्म है।[1][2]

ऐतिहासिक रूप से भारतीय उपमहाद्वीप में विभिन्न मान्यताओं का प्रतिनिधित्व करते थे, कुछ रविदासिया अपने आप को रैदास के भक्त मानते हैं जबकि इसका गठन औपनिवेशिक ब्रितानी भारत में २०वीं सदी के पूर्वार्द्ध में हुआ था।[2] रविदासिया परम्परा के अनुयायियों ने वर्ष 1947 के पश्चात् एकजुटता आरम्भ की और अपनी परंपरा के साथ सामंजस्य स्थापित किया।[3] रविदासियाओं की कुल जनसंख्या 20 से 50 लाख के मध्य है।[4][5]

  1. जैन गोंडा (1970). Visnuism and Sivaism: A Comparison [विष्णु एव शिव धर्म: एक तुलना] (अंग्रेज़ी भाषा में). ब्लूसबरी एकेडमिक. ISBN 978-1-4742-8080-8.
  2. परमजीत जज (2014), Mapping Social Exclusion in India: Caste, Religion and Borderlands, कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस, ISBN 978-1107056091, पृष्ठ 179-182
  3. गेराल्ड पैरसन्स (1993). The Growth of Religious Diversity: Traditions. साइकोलॉजी प्रेस. pp. 227–. ISBN 978-0-415-08326-3. अभिगमन तिथि: 2 अक्टूबर 2012.
  4. "Census 2021: Two Ravidassia factions want recognition as different religions". द इंडियन एक्सप्रेस (अंग्रेज़ी भाषा में). 2020-07-19. अभिगमन तिथि: 2020-08-15.
  5. "The 'Untouchables' In Europe – 10 Years After the Murder of Their Saint". फोरेफ़ यूरोप (अमेरिकी अंग्रेज़ी भाषा में). 2019-09-12. अभिगमन तिथि: 2022-10-02.

बाहरी कड़ियाँ

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