रसिया ब्रज क्षेत्र मे होली पर गए जाने वाले लोक गीतों का एक प्रकार है जो कि मुख्यतः भगवान श्रीकृष्ण व राधा जी के प्रेम पर आधारित होते हैं।[1]

शाब्दिक अर्थ

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प्रेमी, कामुक व व्यसनी व्यक्ति, गाने बजाने का शौकीन व्यक्ति तथा होली के अवसर पर गया जाने वाला हास परिहास मूलक गीत।[2]

यद्यपि जमींदारी प्रथा के अंत के साथ कई लोक परम्पराओ का भी अंत हो गया परंतु बुंदेलखंड मे फाग व ब्रज मे रसिया आज भी होली के अवसर पर गया जाता है।[3] रसिया का प्रयोग आम नौटंकी मे भी कलाकार जरूरत के अनुसार करते है।[4]

इन्हें भी देखें

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संदर्भ सूत्र

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  1. वर्मा, श्याम बहादुर (2010). Prabhat Brihat Hindi Shabdakosh (vol-2). Prabhat Prakashan. पृ॰ 2092. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788173157707.
  2. बहरी, हरदेव (1990). हिन्दी शब्दकोश. Rajpal & Sons. पृ॰ ६९५. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788170280866. मूल से 4 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 जनवरी 2016.
  3. त्यागी, रवीन्द्रनाथ (2007). कबूतर, कौवे और तोते (द्वितीय संस्करण). भारतीय ज्ञानपीठ. पपृ॰ १३२, १३३. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788126313938. मूल से 4 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 जनवरी 2016.
  4. डाकू. सुबोध पॉकेट बुक्स. पृ॰ २८. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9789380402185. मूल से 4 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 जनवरी 2016. |firstlast1= missing |lastlast1= in first1 (मदद)