राजकुमारी और मटर का दाना

परियों की कहानी एच.सी. एंडरसन

राजकुमारी और मटर अथवा राजकुमारी और मटर का दाना (डेनिश: "Prinsessen paa Ærten") हैंस क्रिश्चियन एंडर्सन द्वारा लिखी एक परी कथा है।[1][2] जिसमें एक राजकुमारी की शाही पहचान उसकी संवेदनशीलता की परीक्षा से स्थापित होती है। 8 मई 1835 को एक सस्ती पुस्तिका में एंडर्सन द्वारा तीन अन्य लोगों के साथ कहानी प्रकाशित की गई थी। अंग्रेजी में इस कहानी का अनुवाद चार्ल्स बोनर ने किया था।[3]

"राजकुमारी और मटर का दाना"
लेखक हैंस क्रिश्चियन एंडर्सन
मूल शीर्षक "Prinsessen paa Ærten"
अनुवादक चार्ल्स बोनर
देश डेनमार्क
भाषा डेनिश
शैली परी कथा
प्रकाशन कहानियों, बच्चों के लिए कहा। पहला संग्रह। पहला पुस्तिका। 1835।.
प्रकाशन प्रकार परी कथा संग्रह
प्रकाशक सी.ए.रेइत्ज़ेल
माध्यम प्रकार छाप
प्रकाशन तिथि 8 मई 1835
अंग्रेज़ी प्रकाशन तिथि 1846 में ए डेनिश स्टोरी-बुक

कहानी का सारांश संपादित करें

राजकुमारी और मटर कहानी में एक राजकुमार ने एक सच्ची राजकुमारी से शादी करना चाहता था। राजकुमार ने सारी दुनिया में राजकुमारी को दूदा। लेकिन जो राजकुमारी उसको मिलती थी, उसमें कोई न कोई कमी होती थी।

एक शाम को उनके राज्य में तूफान आया और बारिश भी होने लगी। तब कोई महल का दरवाजा खटखटाने लगा। राजा ने खुद दरवाजा खोलकर देखा तो एक राजकुमारी बिलकुल गीली होकर खडी है और साथ ही वह कहे जा रही थी कि वह सच्ची राजकुमारी है। इसलिए रानी ने उसकी सच्चाई का पता करने के लिए मेहमानों के कमरे की तरफ गई और पलंग पर से सारा बिस्तर हटा दिया और खाली पलंग पर एक मटर का दाना रखा। फिर उस दाने के ऊपर बीस गद्दे बिछाए और उनके ऊपर बीस समुद्री बत्तखों के पखं वाले पलंगपोश डालकर बिस्तर तैयार किया। लेकिन बीस गद्दों और बीस पलंगपोशों के बावजूद ही राजकुमारी ने उस मटर के दाने की चुभन महसूस कर रही थी और रात भर सो नहीं सकी। उस वजह से सबको पता चल गया कि वह एक सच्ची राजकुमारी है। राजकुमार ने राजकुमारी से शादी कर ली।

सन्दर्भ संपादित करें

  1. Hans Christian Anderson's (Stories and Fairy Tales). Atmaram & Sons.
  2. Tatar (2008), पृ॰प॰ 70–77
  3. Wullschlager (2000), पृ॰ 290

ग्रन्थसूची संपादित करें

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