राजभाषा अधिकारी
राजभाषा अधिकारी भारतीय केद्र सरकार के कार्यालयों में हिंदी अनुवाद के अलावा राजभाषा हिंदी के अन्य कामकाज जैसे हिंदी दिवस, हिंदी पखवाड़ा मनाना, हिंदी कार्यशालाओं का आयोजन करना, गृह पत्रिका का संपादन करना, हिंदी तिमाही बैठकों का आयोजन, राजभाषा निरीक्षण आदि कार्य करते है। राजभाषा अधिकारी पदों का सृजन राजभाषा विभाग के आदेशानुसार हर कार्यालय में किया जाता है। केंद्र सरकार के कार्यालयों, उपक्रमों, बैंकों आदि में न्यूनतम हिंदी पदों को सृजित करने के बारे में गृह मंत्रालय के राजभाषा विभाग ने विस्तृत आदेश ज्ञा॰ सं॰ 13035/3/95--रा॰भा॰ (नीति एवं समन्वय) दिनांक 22-07-2004 द्वारा जारी किए गए है। दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस आदेश का सही पालन सभी कार्यालयों में नहीं किया जाता है। मा. संसदीय राजभाषा निरीक्षण समिति ने आपत्ति उठाने के बावज़ूद भी न्यूनतम हिंदी पदों की नियुक्ति नहीं की जा रही है[तथ्य वांछित]। इससे कार्यालय के राजभाषा कार्यान्वयन तथा अनुवाद कार्य में बाधा उत्पन्न हो जाती है। सरकारी कार्यालयों में हिंदी का प्रसार करने का प्रामाणिक प्रयास सभी स्तरों पर नहीं किया जाता है। जहां एक जगह रोजगार निर्माण की बात की जाती है वहां हिंदी पदों के सृजन एवं नियुक्ति के मामले में उदासीनता दिखायी देती है[तथ्य वांछित]।
हिंदी पदों का सृजन
संपादित करेंहिंदी पदों का सृजन करते समय अनुसचिवीय कर्मचारियों की गणना की जाती है। इसकी गणना करते समय हर कार्यालय में कोई निश्चित आदेश जारी नहीं किया जाता है। इस संदर्भ में राजभाषा विभाग के स्पष्ट आदेश है कि अनुसचिवीय कर्मचारियों शब्दों के अंतर्गत वे सभी कर्मचारी तथा अधिकारी शामिल हैं जिनके पद अनुसचिवीय कार्यों के लिए सृजित किए गए हैं चाहे वे तकनीकी या वैज्ञानिक कर्मचारी या अधिकारी हो। इसके अतिरिक्त यदि तकनीकी और वैज्ञानिक पद इस तरह से काम के लिए स्वीकृत हों परन्तु पदधारियों को अनुसचिवीय कार्य भी सौंपा गया हो तो आंतरिक कार्य अध्ययन एकक द्वारा इस तरह के कर्मचारियों के कार्य के स्वरूप की पड़ताल करने के बाद उन्हे हिंदी पदों के सजृन के लिए गिना जा सकता है। हिंदी पदों के सृजन के बारे में राजभाषा विभाग के आदेश निम्नानुसार है।
मंत्रालयों/विभागों के लिए
संपादित करें- प्रत्येक मंत्रालय तथा स्वतंत्र विभाग में जिसका पूर्णकालिक सचिव हो वहां एक सहायक निदेशक (राजभाषा)।
- प्रत्येक ऐसे मंत्रालय या विभाग में जहां 100 या 100 से अधिक अनुसचिवीय कर्मचारी हो या जिसके अंतर्गत 4 या 4 से अधिक संबद्ध/अधीनस्थ कार्यालय या उपक्रम ऐसे जिसमें हर एक में 100 या 100 से अधिक अनुसचिवीय कर्मचारी हो वहां एक वरिष्ठ
हिंदी अधिकारी अर्थात् उप-निदेशक (राजभाषा)। राजभाषा विभाग के निर्धारित नार्मस को ध्यान में रखते हुए यह पद सहायक निदेशक के पद के बदले या उसके अतिरिक्त हो सकता है। मंत्रालय/विभाग में कार्य के स्वरूप और कार्य की मात्रा के आधार पर 12000-16500 रुपए के वेतनमान में संयुक्त निदेशक (राजभाषा) (इसी वेतनमान में पहले निदेशक) का पद बनाया जा सकता है।
- 50 से कम अनुसचिवीय कर्मचारियों पर एक कनिष्ठ अनुवादक (अब पदनाम: कनिष्ठ अनुवाद अधिकारी), 50 से 100 अनुसचिवीय कर्मचारियों पर 2 कनिष्ठ अनुवादक, 101 से 150 अनुसचिवीय कर्मचारियों पर 3 कनिष्ठ अनुवादक, 151 या इससे अधिक अनुसचिवीय कर्मचारी होने पर 3 कनिष्ठ अनुवादक तथा एक वरिष्ठ अनुवादक।
संबद्ध/अधीनस्थ कार्यालयों के लिए
संपादित करें- 100 या 100 से अधिक अनुसचिवीय कर्मचारियों वाले प्रत्येक संबद्ध/अधीनस्थ कार्यालय में एक हिंदी अधिकारी या सहायक निदेशक (राजभाषा)
- (क) ‘क क्षेत्र में स्थित कार्यालयों के लिए (रक्षा सेनाओं और अर्ध सैनिक बलों कार्यालयों को छोड़कर) 18 से 125 अनुसचिवीय कर्मचारियों वाले कार्यालय में एक कनिष्ठ अनुवादक, 126 से अधिक अनुसचिवीय कर्मचारियों के लिए दो -कनिष्ठ अनुवादक।
(ख) ‘ख' तथा 'ग' क्षेत्र में स्थित कार्यालयों के लिए 18 से 75 तक अनुसचिवीय कर्मचारियों वाले कार्यालय में एक कनिष्ठ अनुवादक। 76 से 125 अनुसचिवीय कर्मचारियों वाले कार्यालयों के लिए दो कनिष्ठ अनुवादक। 126 से 175 अनुसचिवीय कर्मचारियों वाले कार्यालय के लिए तीन कनिष्ठ अनुवादक। 175 से अधिक अनुसचिवीय कर्मचारियों वाले कार्यालय के लिए तीन कनिष्ठ अनुवादक तथा एक वरिष्ठ अनुवादक।
(ग) रक्षा सेनाओं और अर्ध सैनिक बलों के ‘क क्षेत्र में स्थित कार्यालयों पर भी जो एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में स्थानांतरित होते रहते है यही मानक लागू होंगे।
(घ) ‘ख' व ‘ग' क्षेत्र में स्थित केंद्रीय सरकार के ऐसे सभी कार्यालयों में जहां कम से कम 25 अनुसचिवीय कर्मचारी हों एक ¯हिंदी टाइपिस्ट का पद दिया जाए। ‘क क्षेत्र में नए खोले जाने वाले कार्यालयों में भी यदि कम से कम 25 अनुसचिवीय कर्मचारी हों तो एक हिंदी टाइपिस्ट पद दिया जाए। ‘क क्षेत्र में स्थित रक्षा सेनाओं और अर्धसैनिक बलों के कार्यालयों जो एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में स्थानांतरित होते रहते है उनमें भी वही मानक लागू होंगे।
(च) मंत्रालयों/विभागों और संबद्ध/अधीनस्थ कार्यालयों में राजभाषा नीति के अनुपालन के लिए अन्य पदः-
(प) अनुवाद के अलावा अन्य कई प्रकार का कार्य ऐसा है जो राजभाषा नीति का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है, जैसे आदेशों का परिचालन करना, प्रगति रिपोर्ट बनाना, हिंदी सलाहकार समिति, राजभाषा कार्यान्वयन समिति की बैठकों की कार्यसूची व कार्यवृत्त तैयार करना कर्मचारियों को हिंदी सीखने के लिए नामित करना, कार्यशालाओं का आयोजन करना आदि। मंत्रालयों/विभागों और संबद्ध/अधीनस्थ कार्यालयों में इस कार्य के लिए निम्नलिखित पदों की अनुशंसा की जाती हैः-
(क) अवर श्रेणी लिपिक (हिंदी टाइपिस्ट) का एक पद यह पद पहले से अस्तित्व में है जैसाकि राजभाषा विभाग के दिनांक 05-04-89 के का॰ज्ञा॰ सं॰ 13035 -रा॰भा॰(ग) में उल्लिखित है।
(ख) सहायक का एक पद उन मंत्रालयों/विभागों में तथा सहायक या उसके समकक्ष पद उन संबद्ध/अधीनस्थ कार्यालयों में जहां अनुसचिवीय कर्मचारियों की संख्या (ग्रुप ‘डी को छोड़कर) कम से कम 310 है।
(ग) यह सुनिश्चित कर लिया जाए कि जहां उक्त कार्यों के लिए सहायक या समकक्ष पद पहले से स्वीकृत है वहां अतिरिक्त पद अनुशंसित न किया जाए।
(च) ‘अनुसचिवीय कर्मचारियों से सभी कर्मचारियों से (श्रेणी ‘घ के कर्मचारियों को छोड़कर) है जिनके पद लिपिक वर्गीय कार्यों के लिए मंजूर किए गए है भले ही वे तकनीकी या वैज्ञानिक कर्मचारी या अधिकारी हों। इसके अतिरिक्त जिन तकनीकी और वैज्ञानिक कर्मचारियों/अधिकारियों को अनुसचिवीय कार्य (जैसे टिप्पण, प्रारूपण, पत्र लेखन, लेखाकरण आदि) सौंपा गया है उनको भी हिंदी पदों की गणना में शामिल किया जाए। इन मार्गदर्शी सिद्धांतों में ¯हिंदी पदों की जो संख्या निर्धारित की गई है वह न्यूनतम है ताकि इनकी व्यवस्था, बिना कार्य अध्ययन के केवल कार्यालय के कर्मचारियों की संख्या और कार्यालय किस क्षेत्र में स्थित है के आधार पर की जाए ताकि राजभाषा नीति के कार्यान्वयन पर प्रतिकूल असर न पड़े। काम की मात्रा और स्वरूप को ध्यान में रखते हुए किसी भी कार्यालय में इससे अधिक पदों का यदि औचित्य हो तो उनका सृजन कार्य अध्ययन के आधार पर किया जा सकता है।
कार्य अध्ययन करते समय उसी कार्य को ही ध्यान में न लिया जाए जो इस समय किया जा रहा है बल्कि वे कार्य की सारी मदें हिसाब में ली जाएं जो राजभाषा अधिनियम, नियम, वार्षिक कार्यक्रम आदि की अपेक्षाओं के अनुसार हिंदी में या दोनों भाषाओं (¯हिंदी और अंग्रेजी) में किए जाने जरूरी है। कहना न होगा कि कार्य अध्ययन कार्यभार की मात्रा का ध्यानपूर्वक मूल्यांकन करके ही किया जाना चाहिए न कि तदर्थ आधार पर। यह स्पष्ट किया जाता है कि जिन कार्यालयों में अनुवादक आदि के पद पूर्व के मानकों के आधार पर पहले से सृजित किए जा चुके है उन्हे इस आधार पर समाप्त नहीं किया जाएगा कि संशोधित मार्गदर्शी सिद्धांतों के अनुसार निर्धारित संख्या से वे अधिक है। तथापि, कोई भी अतिरिक्त मांग मंत्रालय/विभाग तथा उसके संबद्ध और अधीनस्थ कार्यालय में समग्र रूप से फालतू पाए जाने वाले पदों से समायोजित की जाएं। केंद्रीय सरकार के प्रशिक्षण संस्थानों में ¯हिंदी के माध्यम से प्रशिक्षण देने के लिए प्रशिक्षण सामग्री का अनुवाद करने के लिए अनुवाद कार्य की मात्रा के आधार पर आवश्यक पदों का सृजन किया जाना चाहिए और इसके लिए न्यूनतम पदों का कोई मानदंड बनाने की आवश्यकता नहीं है।
यह कार्यालय ज्ञापन निदेशक कर्मचारी निरीक्षण एकक) वित्त मंत्रालय द्वारा उनकी दिनांक 26-12-2003 की अन्तर्विभागीय टिप्पणी सं॰ 526 एस॰आई॰यू॰/2003 में दिए गए अनुमोदन से जारी किया जाता है।