राजसमंद

एक झील, कांकरोली तथा राजसमन्द शहरों के बीच स्थित

(66 किलोमीटर उत्तर पूर्व) राजसमंद झील कांकरोली तथा राजसमन्द शहरों के बीच स्थित है। इस झील की स्थापना 17वीं शताब्दी में मेवाड़ के महाराणा राजसिंह ने की थी। इस झील का निर्माण गोमती, केलवा तथा ताली नदियों पर बांध बनाकर किया गया है। कांकरोली में झील के तट पर द्वारकाधीश श्री कृष्ण भगवान का मंदिर है। और झील की पाल को नोचौकी पाल के नाम से ही जाना जाता है राजसमन्द झील पर एरिकेशन एक शानदार पर्यटक स्थल बनाया हुआ है, कांकरोली में "द्वारकेश जयते" श्लोक का उच्चारण हर जगह किया जाता है और यहाँ से 15 किलोमीटर स्थित श्रीनाथ जी का मंदिर नाथद्वारा में है यहां जाने के लिए उदयपुर से सीधी बस सेवा है, राजसमन्द शहर के राजनगर में नेशनल हाईवे 8 होकर गुजरती है ।

जयसमंद झील

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(48 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व) यह भारत का सबसे बड़ा कृत्रिम झील है। यह झील 88 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। महाराणा जयसिंह ने इस झील का निर्माण 17वीं शताब्दी में गोमती नदी पर डैम बनाकर किया था। इसके तटबंध पर मार्बल का एक स्माीरक तथा भगवान शिव का एक मंदिर है। इस झील के दूसरी तरफ राजपरिवार के लोगों के गर्मियों में रहने के लिए महल बने हुए हैं। इस झील में सात द्वीप हैं। यह झील के चारों तरफ पहाडियां हैं। पहाडियों पर दो महल बने हुए हैं। इनमें से एक हवा महल तथा दूसरा रुठी रानी का महल है। यहां एक जयसमंद वन्यजीव अभयारण्य भी है।