राजस्थान का एकीकरण (1948–1956)

राजस्थान का एकीकरण कुल 7 चरणों में सम्पन्न हुआ जो निम्न है

1. प्रथम चरण (मत्स्य संघ) [17/18 मार्च 1948]

मत्स्य संघ का नामकरण करने का श्रेय डॉ कन्हैयालाल माणिक्यलाल मुंशी को जाता हैं। इस संघ में अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली एवं नीमराना ठिकाने को शामिल किया गया।

इसका उदघाटन तात्कालीन भारत सरकार में मंत्री श्री N. V. गाडगिल के द्वारा किया गया।

इस संघ में राजप्रमुख धौलपुर के उदयभान सिंह, उपराजप्रमुख करौली के गणेशपाल को बनाया गया तथा अलवर को राजधानी का दर्जा दिया गया। मंत्रिमंडल का गठन कर प्रधानमंत्री अलवर के शोभाराम कुमावत को बनाया गया।

2. द्वितीय चरण (राजस्थान संघ/पूर्वी राजस्थान) [25 मार्च 1948]

द्वितीय चरण में बांसवाड़ा, बूंदी, किशनगढ़, झालावाड़, डूंगरपुर, कोटा, शाहपुरा, प्रतापगढ़, टोंक एवं ठिकाने कुशलगढ़ को शामिल कर राजस्थान संघ नाम दिया गया। राजस्थान शब्द का सर्वप्रथम उपयोग इसी चरण में किया गया। इसका उदघाटन कोटा में केंद्रीय मंत्री N. V. गाडगिल के द्वारा किया गया।

राजधानी के रूप में कोटा को चुना गया, वही राजप्रमुख कोटा के महाराव भीमसिंह एवं उपराजप्रमुख बूंदी के बहादुरसिंह को बनाया गया। शाहपुरा के गोकुललाल असावा को प्रधानमंत्री बनाकर मंत्रिमण्डल का गठन स्थगित रखा गया।

बांसवाड़ा के चंद्रवीरसिंह ने संघ में विलय के लिए विलयपत्र पर हस्ताक्षर करते समय कहा कि "मैं अपने डेथ वॉरेंट पर हस्ताक्षर कर रहा हूं।"