राजा उदय प्रताप सिंह
राजा उदय प्रताप सिंह (जन्म: १९३३) अवध के भूतपूर्व भदरी रियासत[1] के वर्तमान उत्तराधिकारी है। वे एक पर्यावरणविद एवं विश्व हिंदू परिषद के हिंदूवादी नेता तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मानद पदाधिकारी हैं। वे प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से विवादों के कारण भी जाने गए। वे उत्तर प्रदेश के राजनेता रघुराज प्रताप सिंह उर्फ़ राजा भैया के पिता है।[2]
शिक्षा
संपादित करेंउदय प्रताप सिंह ने देश के प्रतिष्ठित द दून स्कूल, देहरादून से शिक्षा प्राप्त की। बाद में जापान से उन्होंने कृषि में स्नातक पूरा किया। राजा उदय सिंह को जापान से पर्यावरण विशेषज्ञ की उपाधि मिली।
सामाजिक कार्य
संपादित करेंउदय प्रताप सिंह कट्टर हिंदुवादी छवि के व्यक्ति है। विश्व हिंदू परिषद तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को अपनी अथाह संपत्तिया दान में दिया है। हमेशा से वे संघ के एक सक्रिय कार्यकर्ता रहे हैं। उत्तर प्रदेश में सर्वप्रथम प्लास्टिक की थैलियों पर प्रतिबंध लगाने का श्रेय राजा उदय प्रताप सिंह को प्राप्त है। बतौर पर्यावरणविद इन्होंने प्रकृति नामक संस्था की स्थापना की है, जिसका मूल उद्देश्य प्रकृति एंव पर्यावरण को संरक्षित तथा प्रदुषण मुक्त करना है। उदय सिंह कई विद्यालयों के संस्थापक, संरक्षक हैं, उदाहरण के तौर पर भदरी स्थित बजरंग इंटर कालेज, डेरवा स्थित भद्रेश्वर इंटर कालेज आदि। लोग इन्हें बाबा साहेब, राजा साहेब, महाराज आदि आदरसूचक शब्दों से संबोधित करते हैं।
इंदिरा गाँधी से विवाद
संपादित करेंस्वतंत्रता पूर्व नेहरू गाँधी परिवार और भदरी परिवार के अच्छे ताल्लुकात थे। बजरंग बहादुर सिंह बतौर स्वतंत्रता सेनानी, पंडित जवाहर लाल नेहरू के साथ कई बार दिखे। राजा बजरंग की पत्नी रानी गिरिजा देवी इंदिरा गाँधी से काफ़ी नजदीक थी। जब उदय सिंह भदरी के प्रमुख हुए, नेहरू गाँधी परिवार से इनके ताल्लुकात खराब होते गए। इंदिरा गाँधी के शासन में राजा उदय प्रताप सिंह ने अपनी रियासत भदरी को भारत का स्वतंत्र राज्य घोषित कर दिया था। तब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी द्वारा मजबूरन कुंड़ा में सैन्य दल भेजा गया।[3]
कारावास
संपादित करेंवर्ष २००२ में, तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने आतंकवाद निरोधक क़ानून का उपयोग करते हुए उदय सिंह के बेटे विधायक रघुराज प्रताप सिंह के साथ साथ ७० वर्षीय उदय प्रताप सिंह व भतीजे अक्षय प्रताप सिंह को जेल भेजवाया। हालाकि बाद में इनके भतीजे अक्षय को जमानत मिल गई, लेकिन उदय प्रताप और राजा भैया को जमानत नहीं मिली। इस दौरान इन्हें लगभग एक वर्ष जेल में रहना पड़ा।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "List of Members of British India association, Avadh". britishindiaassociation.com. मूल से 17 जुलाई 2012 को पुरालेखित.
- ↑ "भदरी". मूल से 29 नवंबर 2013 को पुरालेखित.
- ↑ राजा उदय प्रताप सिंह Archived 2014-07-02 at the वेबैक मशीन - भारत डिस्कवरी, अभिगमन तिथि: २३ जून २०१४