राजा कसूमर भील , राजा भोज के समकालीन एक राजा थे । राजा कसुमर और राजा बालून के समय भगोर राजधानी हुआ करती थी , इन्हीं राजाओं के समय आदिवासियों का मेला भगोरिया चलन में आया ।[1]

भगोरिया हाट संपादित करें

भगोरिया मेला को लेकर समाज में कई तरह की भ्रांतियां फैलाई गई है जिनमे से प्रमुखत:यह है कि ’भगोरिया मेला महिलाओं को यह आजादी देता है कि वे अपने मनपसंद के लड़के को चुनकर विवाह कर ले।’[2]। भील राजा कसुमर ने भगोरिया हाट की शुरुवात करी इसका एक कारण यह था कि युवा और यवती अपने परिवार सहित एक स्थान पर एक दूसरे को पसंद कर ले , इस हाट में बेहद अधिक संख्या में लोग आते है जिससे परिवार को शादी के लिए रिश्ते। देखने के। लिए बहुत ज्यादा भटकना नहीं पड़ता ।

इस हाट में आदिवासी विभिन्न जरूरतों को सामग्रियां भी खरीद सकते है जिससे उनके समय की बचत होती है और साथ ही साथ हाट का आनंद लेते है।

राजा कासुमार और रानी हीमल संपादित करें

भील राजा कासूमर जी की शादी , धार के परमार राजा भोज की पुत्री हीमल से हुई थी , इस तरह से राजा भोज, भीलों के ससुर कहलाए । भील गीतो और कहावतों में इस बात के प्रमाण मिलते है कि राजा भोज भीलों के ससुर थे ।[3]

संदर्भ संपादित करें

  1. "कु क्षी में भगोरिया आज दिखेंगे लोक संस्कृति के रंग". Nai Dunia. 2020-03-03. अभिगमन तिथि 2023-03-14.
  2. "पर्व भगोरिया | जिला झाबुआ, मध्य प्रदेश शासन | भारत". अभिगमन तिथि 2023-03-14.
  3. Jaina, Nemīcanda (1964). Bhīla: bhāshā, sāhitya aura saṃskr̥ti. Hīrābhaiyā Prakāśana.