राजा मोतीचन्द
राजा मोतीचन्द सीआईई, बनारस के प्रसिद्ध रईस थे। इन्हे ब्रिटिश सरकार ने 'राजा' और 'सर' की उपाधि दी थी। इसलिए लोग इन्हे राजा मोतीचंद्र कहते थे। ये उस समय इलाके के जमींदार हुआ करते थे। मोतीझील हवेली को बाबू मोतीचंद्र ने 1908 में बनवाया था।
राजा मोतीचन्द ने "बनारस कॉटन मिल्स" की स्थापना करके बनारस के औद्योगीकरण की नींव रखी थी।
काशी के घाटों के धंसने और कटान को लेकर पहली बार 1927 में सर्वेक्षण कराया गया था। अस्सी से राजघाट के बीच घाटों की स्थिति का आकलन के लिए राजा मोतीचंद की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी ‘काशी तीर्थ सुधार ट्रस्ट’ के नाम से गठित की गई थी।[1]
सन्दर्भ
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संपादित करें- मंगलाप्रसाद पारितोषिक -- इसके लिए धन की व्यवस्था राजा मोतीचन्द के परिवार के बाबू गोकुलचन्द ने की थी।