राजा लोने सिंह
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राजा लोने सिंह मितौली के शासक थे जिन्होंने १८५७ के प्रथम भारतीय स्वाधीनता संग्राम में अग्रणी भूमिका निभायी। इसी कारण वे ईस्ट इंडिया कंपनी की सरकार में कुख्यात अपराधी के रूप में चर्चित हुए। उनका राज्य संयुक्त प्रान्त के मोहम्मदी जनपद के विशाल भू-भाग पर था। वर्तमान उत्तर प्रदेश का खीरी जनपद का मितौली गाँव इनके राज्य की राजधानी था।
यहाँ एक विशाल किला और मन्दिर था, जिसे 1857 के विद्रोह के उपरान्त ब्रितानी शासन के पुनर्स्थापित होने पर ब्रितानी सेनाओं द्वारा नष्ट कर दिया गया। इसके ध्वंशावशेष आज भी इस स्थान पर मौजूद हैं जिनमें टीला, प्राचीन कुएं और मन्दिर के कुछ अंश देखे जा सकते हैं।
मितौली
संपादित करेंमितौली जो कभी मितौलगढ़ के नाम से प्रसिद्ध था, १८५६ में ईस्ट इंडिया कंपनी ने जब इन इलाकों का अधिग्रहण करना प्रारम्भ किया तब मितौली के राजा लोने सिंह ने इस अधिग्रहण का विरोध किया, बेगम हज़रात महल के साथ मिलकर उनके पुत्र बिरजिस कदर की ताजपोशी करवाई और समूचे अवध में बेगम हज़रत महल के साथ मिलकर अंग्रेज़ी शासन के विरुद्ध स्वतंत्रता की लड़ाई का नेतृत्व किया। मितौली को राजा लोने सिंह ने एक वर्ष तक अंग्रेजों के आधीन नहीं आने दिया। आठ अक्टूबर सन १८५८ में कंपनी सरकार की सेनाओं ने मितौली पर अपना अधिकार कर लिया।
राजा लोने सिंह की गढ़ी
संपादित करेंखीरी जनपद की मितौली तहसील में स्थित मितौली गाँव जिसके दक्षिण-पश्चिम में स्थित है यह ध्वंश गढ़ी जो अब एक टीले के रूप में है, इस गढ़ी की चौड़ी चौड़ी दीवारे जो पतली पकी हुई ईंट की बनाई गयी है स्पष्ट दिखाई देती हैं। गढ़ी में सात कुँए हुआ करते थे जिनमे अब भी ४ कुँए अच्छी स्थित में है। गढ़ी का क्षेत्रफल लगभग ५० हेक्टेयर से अधिक है किन्तु अब सिर्फ ५ हेक्टेयर में ही यह टीला सिमट चुका है।
गढ़ देवेश्वर महादेव मंदिर
संपादित करेंध्वस्त गढ़ी पर एक शिवालय स्थित है, जिसे राजा लोने सिंह ने स्वयं निर्मित कराया था, इस मंदिर के निकट एक विशाल कुआं और मंदिर की प्राचीरें बची हुई है। पुरातात्विक महत्त्व का यह शिवालय स्थानीय जनमानस द्वारा पूज्यनीय है।
प्रथम स्वाधीनता दिवस की १५८वीं वर्षगाँठ
संपादित करें१५७ वर्ष पश्चात गढ़ी में गूंजा वन्दे मातरम्
संपादित करेंउनकी शासन सत्ता समाप्त होने के १५७ वर्ष उपरान्त पहली बार कृष्ण कुमार मिश्र-मैनहन के संयोजन में प्रथम स्वाधीनता संग्राम की १५८वीं वर्षगाठ पर क्रान्ति के महानायक राजा लोने सिंह की ध्वंश गढ़ी पर विशाल जनसभा का आयोजन किया गया जिसमें राजा लोने सिंह जी के वंशज, हजारों की संख्या में स्थानीय जनमानस, स्थानीय विधायक सुनील कुमार लाला एवं शिक्षकों ने सहभागिता की और वन्दे मातरम् का उदघोष किया साथ ही प्राचीन गढ़ देवेश्वर महादेव मन्दिर में पूजा अर्चना की गयी।
मोहम्मदी
संपादित करेंमोहम्मदी ईस्ट इंडिया कंपनी सरकार में जनपद मुख्यालय था। वर्तमान यह कस्बा खीरी जनपद के अंतर्गत है। मोहम्मदी कंपनी सरकार के डिप्टी कमिश्नर एवं असिस्टेंट कमिश्नर का मुख्यालय हुआ करता था।
गदर
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- Gathering The Ashes by Amrit Lal Nagar
- Mutiny struck Kheri before revolt of 1857[मृत कड़ियाँ]
- राजा लोने सिंह की कर्मभूमि पर मेला आज, अमर उजाला, बरेली
- राजा लोने सिंह के शौर्य शहादत को याद किया गया, अमर उजाला, बरेली Archived 2016-03-04 at the वेबैक मशीन
- राजा लोने सिंह की गढ़ी को सरंक्षित करने की मांग, दैनिक जागरण
- Region in Indian History
- Historic Lucknow by Sydney Hay
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- लछमनिया तोप
- 185 वर्ष बाद क्रान्ति के इस महानायक के गढ़ पर हुआ वन्दे मातरम का उदघोष, प्रेसनोट डाट इन
- राजा लोने सिंह की ध्वंश गढ़ी पर वन्दे मातरम् का उदघोष, दुधवा लाइव Archived 2016-03-05 at the वेबैक मशीन
- राजा लोने सिंह की गढ़ी पर चल गया बुलडोजर, अमर उजाला बरेली
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