राजेन्द्र नाथ गौड़काव्य और चिकित्सा दोनों क्षेत्रों में ख्याति हासिल करने वाले श्री राजेन्द्र नाथ गौड़ ‘गुरु घंटाल’ ‘भौंरा’ ‘पुंडरीक’ उपनाम से कविता करते रहे। आप स्वभाव से बड़े सरल, सहज ओर मृदु थे। आपके व्यक्तित्व के ये गुण आपकी कविता में भी दिखाई पड़ते हैं। स्वाभाविकता, सरलता, प्रवाहमयता और संप्रेषणीयता होने से भावना का औदात्य बढ़ गया है। मधुर और गम्भीर कविताओं के साथ ही आपने हास्य और व्यंग्यपरक कविताएँ रची हैं। ‘स्नेह सीकर’ नामक अप्रकाशित संग्रह है।[1]

  1. सिंह, डॉ॰राजकुमार (जनवरी २००७). विचार विमर्श. मथुरा (उत्तर प्रदेश)- २८१००१: सारंग प्रकाशन, सारंग विहार, रिफायनरी नगर. पृ॰ १२४. |access-date= दिए जाने पर |url= भी दिया जाना चाहिए (मदद)सीएस1 रखरखाव: स्थान (link)