राधाकान्त देव (1784-1867) अनेक भाषाओं के विद्वान, हिन्दू संस्कृति के संरक्षण के पक्षधर एवं विचारक थे। उन्होने 'शब्दकल्पद्रुम' नामक संस्कृत के आधुनिक महाशब्दकोश की रचना की। श्री राधाकान्त देव गोपीमोहन देव के पुत्र थे जो महाराजा नवकृष्ण देव के दत्तक पुत्र एवं उत्तराधिकारी थे।

राधाकान्त देब एक बहुभाषीय विद्वान के रूप में रॉयल एशियाटिक सोसाइटी से सम्मानित हुए थे। ये सम्मान उनको उनकी रचना शब्दकल्पद्रुम के लिए प्राप्त हुआ था। संस्कृत, फारसी और अरबी के जानकर राधाकान्त शिक्षा के प्रचार प्रसार के पक्षधर थे। बंगाल नवजागरण के महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में जाने वाले हिन्दू कॉलेज, कोलकाता की स्थापना में उनका योगदान महत्वपूर्ण बताया गया। हालांकि अंग्रेजी शासन से उनके निकट सम्बन्ध दिखाए गए हैं पर ब्रिटिश राज द्वारा भारतीयों के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप को उन्होंने गलत माना और उसका विरोध किया। सती प्रथा जैसे मुद्दे पर उनका पक्ष राजा राममोहन राय से विपरीत था।[1]

इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. Deb, Radhakanta Archived 2017-02-25 at the वेबैक मशीन बंगालपीडिया