राधा कुमुद मुखर्जी

भारतीय इतिहासकार

राधाकुमुद मुखर्जी (१८८४ - १९६४) भारतीय इतिहासकार तथा प्रसिद्ध राष्ट्रवादी चिन्तक थे। वे समाजशास्त्री राधाकमल मुखर्जी के भाई थे। भारत सरकार ने उन्हें सन १९५७ में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। 'हिन्दू सिविलाइजेशन' उनकी प्रमुख कृति है जिसका हिंदी अनुवाद वासुदेवशरण अग्रवाल ने 'हिन्दू सभ्यता' शीर्षक से किया है।

राधा कुमुद मुखर्जी

पद बहाल
3 अप्रल 1952 – 2 अप्रैल 1958

जन्म 25 जनवरी 1884
मृत्यु 9 सितम्ब्र 1963
व्यवसाय इतिहासकार

प्रो० राधकुमुद मुखर्जी का जन्म बंगाल के एक शिक्षित परिवार में हुआ। कोलकाता के प्रेजीडेंसी कॉलेज से इतिहास तथा अंग्रेजी में एम.ए. की डिग्री लेने के बाद उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से पीएच.डी. की डिग्री प्राप्त की।

अपने शैक्षणिक जीवन का आरम्भ उन्होंने अंग्रेजी के प्रोफ़ेसर के रूप में की, लेकिन कुछ समय बाद ही वे इतिहास में चले गए और बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में प्राचीन भारतीय इतिहास तथा संस्कृति के महाराजा सर मनीन्द्रचन्द्र नन्दी प्रोफ़ेसर के रूप में नियुक्त हुए। इस पर वे केवल एक वर्ष रहे और उसके तुरन्त बाद मैसूर विश्वविद्यालय में इतिहास के पहले प्राध्यपक नियुक्त हुए। सन् 1921 में उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय के इतिहास विभागाध्यक्ष का पदभार ग्रहण किया और मृत्युपर्यन्त वहीं बने रहे। सन् 1963 में 83 वर्ष की आयु में उनका देहान्त हुआ।

प्रो. राधाकुमुद मुखर्जी आजीवन प्राचीन भारतीय इतिहास के अध्ययन में लगे रहे और उन्होंने प्राचीन भारत के विभिन्न पक्षों पर विस्तृत एवं आलोचनात्मक शोध-निबन्ध लिखे। अपने अनेक ग्रन्थों में उन्होंने निष्कर्षों तक पहुँचने से पहले सभी उपलब्ध स्रोतों और जानकारियों का भरपूर उपयोग किया।

प्रमुख कृतियाँ

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  • चन्द्रगुप्त मौर्य और उसका काल
  • अशोक
  • हर्ष
  • प्राचीन भारतीय विचार और विभूतियाँ
  • हिन्दू सभ्यता
  • प्राचीन भारत
  • अखंड भारत
  • द गुप्त एंपायर
  • लोकल सेल्फ़ गवर्नमेंट इन एंशिएंट इंडिया
  • द हिस्ट्री ऑफ़ इंडियन शिपिंग एंड मैरीटाइम एक्टिविटी फ्रॉम द अर्लियस्ट टाइम्स
  • एंशिएंट इंडियन एजूकेशन
  • फ़ंडामेंटल यूनिटी ऑफ़ इंडिया
  • नेशनलिज्म इन हिन्दू कल्चर
  • ए न्यू एप्रोच टु कम्यूनल प्रॉब्लम
  • ֹनोट्स ऑन अर्ली इंडियन आर्ट
  • इंडियाज़ लैंड सिस्टम।

इन्हें भी देखें

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बाहरी कड़ियाँ

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