रामन अनुसन्धान संस्थान
रामन अनुसन्धान संस्थान (Raman Research Institute (RRI)) भारत का एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक अनुसंधान संस्थान है। यह बंगलुरु में स्थित है। इसकी स्थापना नोबेल पुरस्कार से सम्मानित भारतीय वैज्ञानिक चन्द्रशेखर वेंकट रामन ने की थी। यह संस्थान सी वी रामन के निजी शोध संस्थान के रूप में आरम्भ हुआ किन्तु आजकल यह भारत सरकार द्वारा वित्तपोषित है।
रामन अनुसंधान संस्थान अब एक स्वायत्त अनुसंधान संस्थान है, जो आधारभूत विज्ञान के अनुसंधान में कार्यरत / निरत है। भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग से निधि प्राप्त करने हेतु सन् 1972 में, आर.आर.आई को सहायता प्राप्त स्वायत्त अनुसंधान के रूप में पुनर्गठित किया गया। इसके प्रशासन और प्रबंधन के लिए विनियमों और उपविधियों का एक निर्धारित किया गया। आज संस्थान में अनुसंधान के प्रमुख क्षेत्र हैं - खगोल विज्ञान एवं ताराभौतिकी, प्रकाश एवं पदार्थ भौतिकी, मृदु संघनित पदार्थ तथा सैद्धांतिक भौतिकी। अनुसंधान गतिविधियों में रसायन विज्ञान, द्रव स्फटिक, जैविक विज्ञान में भौतिकी और संकेत प्रक्रमण, प्रतिबिंबन एवं उपकरण-विन्यास सम्मिलित हैं।
स्थापना
संपादित करेंभारतीय भौतिक विज्ञानी और नोबेल पुरस्कार विजेता सर सी वी रामन ने भारतीय विज्ञान संस्थान से सेवा-निवृत्ति के पश्चात अपने अध्ययन तथा आधारभूत अनुसंधान को जारी रखने के लिए सन् 1948 में रामन अनुसंधान संस्थान का सूत्रपात किया। सर सी.वी. रामन का निधन सन् 1970 में हुआ और तब तक वे अपने निजी अनुसंधान जारी रखने के साथ-साथ निदेशक के पद पर कार्यरत रहे। उक्त संस्थान उनके व्यक्तिगत तथा निजी स्रोतों से प्राप्त अनुदान द्वारा वित्त पोषित रहा।
इतिहास
संपादित करेंदिसंबर 1934 में मैसूर सरकार ने प्रोफेसर रामन को अनुसंधान संस्थान के सृजन के लिए बेंगलूर में भूमि भेंट-स्वरूप प्रदान की। उसी वर्ष प्रोफेसर रामन ने भारतीय विज्ञान अकादमी की स्थापना की। 1948 में रामन अनुसंधान संस्थान के निर्माण के कुछ वर्ष बाद, प्रोफेसर रामन ने अकादमी के उपयोग तथा रामन अनुसंधान संस्थान के हित के लिए विभिन्न चल और अचल संपत्तियाँ उपहार-स्वरूप में भेंट दी। 1970 नवम्बर में प्रोफेसर के निधन के बाद, अकादमी ने एक सार्वजनिक धर्मार्थ न्यास अर्थात् रामन अनुसंधान संस्थान न्यास का सृजन किया। अकादमी द्वारा रामन अनुसंधान संस्थान के लिए धारित भूमि, भवन, जमा, प्रतिभूतियों, बैंक जमा, धन, प्रयोगशालाओं, उपकरणों और अन्य सभी चल और अचल संपत्ति को आर.आर.आई न्यास के नाम हस्तांतरित किया गया। आर.आर.आई न्यास का सर्वप्रमुख प्रकार्य रामन अनुसंधान संस्थान को चलाना, संचालित तथा पोषित करना था।