राष्ट्रकूट राजवंश के राज्यकाल में विशाल मात्रा में कन्नड, संस्कृत, प्राकृत तथा अपभ्रंश साहित्य रचा गया।

इस राजवंश का प्रसिद्ध शासक अमोघवर्ष प्रथम ने सबसे पुरानी ज्ञात कन्नड कविता कविराजमार्ग के कुछ खंडों की रचना की थी। उनके शासन काल में जैन गणितज्ञों और विद्वानों ने 'कन्नड' व 'संस्कृत' भाषाओं के साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया। पुष्पदन्त ने अपभ्रंश में अनेक ग्रन्थों की रचना की।