राष्ट्रपति के अंगरक्षक भारतीय सेना का एक घुड़सवार रेजिमेंट है। यह भारतीय सेना की इकाइयों की पूर्वता के क्रम में सबसे वरिष्ठ है।[2] राष्ट्रपति के अंगरक्षक की प्राथमिक भूमिका भारत के राष्ट्रपति को बचाना और उनकी रक्षा करना है। यही वजह है कि रेजिमेंट भारत के नई दिल्ली में राष्ट्रपति भवन में स्थित है। यह राष्ट्रपति भवन में समारोहों के लिए घुड़सवार इकाई के रुप में और युद्ध में बीटीआर-80 वाहनों के साथ सुसज्जित होते हैं। रेजिमेंट को पैराट्रूपर्स के रूप में भी प्रशिक्षित किया जाता है और पथप्रदर्शक की भूमिका में हवाई हमलों का नेतृत्व करने की उम्मीद की जाती है। यह रेजिमेंट 15 अगस्त और 26 जनवरी तथा अन्य राष्ट्रीय समारोह मे सभी भारतीय रेजिमेंट मे सबसे आगे खडी होती है। इस रेजिमेंट मे सैनिक केवल हिंदू जाट, सिख जाट और राजपूत इन तीन समुदायों मे से ही भर्ती किये जाते है और हर समुदाय मे से एक तिहाई सैनिकों की भर्ती होती है।[3][4][5]

राष्ट्रपति के अंगरक्षक
एक विदेशी गणमान्य व्यक्ति की भारत यात्रा के दौरान राष्ट्रपति के अंगरक्षक।
सक्रिय1773 – वर्तमान
देशभारत भारत
निष्ठाभारत
शाखा भारतीय सेना
प्रकारघुड़सवार
भूमिकासमारोह के दौरान शांति; युद्ध के दौरान बख्तरबंद टोही और पैराशूट पथप्रदर्शक।
विशालता222 (4 अधिकारी, 20 जेसीओ और 198 सैनिक)[1]
आदर्श वाक्यभारत माता की जय[1]
मार्च (सीमा रक्षा)सारे जहां से अच्छा, हिंदुस्तान हमरा[1]
सैन्य-उपकरणबीटीआर-80
सेनापति
रेजिमेंट का कर्नलकर्नल अनूप तिवारी
औपचारिक प्रमुखभारत के राष्ट्रपति
बिल्ला
पहचान
चिह्न
पीबीजी
  1. Nath, Ashok (2009). Izzat: historical records and iconography of Indian cavalry regiments, 1750-2007. Centre for Armed Forces Historical Research, United Service Institution of India. पपृ॰ 542–543. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-902097-7-9.
  2. Varmā, Īśvaraprasāda (1973). सेना और सेनानी. Pi. Ke. Pabilikeśanza. अभिगमन तिथि 21 October 2021.
  3. "क्यों सिर्फ 3 जाति के लोग ही होंगे राष्ट्रपति के बॉडीगार्ड? दिल्ली HC ने केंद्र से मांगा जवाब". न्यूज़ 18. 27 December 2018. अभिगमन तिथि 21 October 2021.
  4. "राष्ट्रपति के अंगरक्षक सिर्फ इन 3 जातियों के क्यों?, हाईकोर्ट का मोदी सरकार को नोटिस". पंजाब केसरी. 27 December 2018. अभिगमन तिथि 21 October 2021.
  5. Bhatt, Kamlesh (18 July 2019). "राष्ट्रपति के अंगरक्षकों में सिर्फ जाट, जट सिख और राजपूत ही क्यों? केंद्र ने दिया यह जवाब..." दैनिक जागरण. अभिगमन तिथि 21 October 2021.