राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन
राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन(National Rural Health Mission) (एनआरएचएम) एक ग्रामीण भारत भर के ग्रामीण स्वास्थ्य सुधार के लिए स्वास्थ्य कार्यक्रम है। यह योजना १२ अप्रैल २00५ को शुरू की गयी। आरंभ में यह मिशन केवल सात साल (२00५-२0१२) के लिए रखा गया है, यह कार्यक्रम स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा चलाया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुरक्षा में केंद्र सरकार की यह एक प्रमुख योजना है। इसका प्रमुख उद्देश्य पूर्णतया कार्य कर रही, सामुदायिक स्वामित्व की विकेंद्रित स्वास्थ्य प्रदान करने वाली प्रणाली विकसित करना है। यह ग्रामीण क्षेत्रों में सुगमता से वहनीय और जवाबदेही वाली गुणवत्तायुक्त स्वास्थ्य सेवायें मुहैया कराने से संबंधित है। यह योजना विभिन्न स्तरों पर चल रही लोक स्वास्थ्य सुपुर्दगी प्रणाली को मजबूत बनाने के साथ-साथ विद्यमान सभी कार्यक्रमों (जैसे- प्रजनन बाल स्वास्थ्य परियोजना, एकीकृत रोग निगरानी, मलेरिया, कालाज़ार, तपेदिक तथा कुष्ठ आदि) के लिए एक ही स्थान पर सभी सुविधाएं प्रदान करने से संबंधित है। इस योजना को पूरे देश में, विशेषकर १८ राज्यों में जिनमें स्वास्थ्य अवसंरचना अत्यंत दयनीय तथा स्वास्थ्य संकेतक निम्न हैं, लागू किया गया है। इस योजना के क्रियान्वयन में लगीं प्रशिक्षित आशा की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है। लगभग प्रति १000 ग्रामीण जनसंख्या पर १ आशा कार्यरत है। २0१२-१३ के संघीय बजट में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के संबंध में १८११५ करोड़ रूपये की धनराशि आवंटित की गयी है।
विशेष केन्द्रित राज्य अरुणाचल प्रदेश, असोम, बिहार, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, जम्मू कश्मीर, मणिपुर, मिजोरम, मेघालय, मध्य प्रदेश, नागालैण्ड, उड़ीसा, राजस्थान, सिक्किम, त्रिपुरा, उत्तराखंड एवं उत्तर प्रदेश।
मिशन के अंतर्गत किये जाने वाले कार्य स्वास्थ्य पर सरकारी खर्च में बढ़ोतरी, स्वास्थ्य सेवाओं के ढांचा का सुधार, ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों को मजबूत बनाना। देशी/ परंपरागत आरोग्य प्रणालियों को बढावा देना, उन्हें स्वास्थ्य सेवाओं का मुख्य अंग बनाना। निजी स्वास्थ्य क्षेत्र का नियमीकरण, इसके लिए मापदंड और अधिनियम बनाना। निजी स्वास्थ्य क्षेत्र के साथ साझेदारी बनाना। लोगों को इलाज प्राप्त करने के लिए जो खर्च करना पड़ता है, उसके लिए उचित बीमा-योजनाओं का प्रबंध करना। ज़िला कार्यक्रमों का विकेंद्रीकरण करना ताकि ये ज़िला स्तर पर चलाये जा सकें। स्वास्थ्य के प्रबंधन में पंचायती राज संस्थाओं / समुदाय की भागीदारी को बढाना। स्मयबद्ध लक्ष्य और कार्य की प्रगति पर जनता के सामने रिपोर्ट पेश करना।
स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार इसके लिए निम्न कार्य प्रस्तावित हैं -
गांव में स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध करना - आशा/ सहिया द्वारा। उप केंद्रों की क्षमताओं के विकास के लिए:- जरूरत के अनुसार नये उपकेंद्र उपकेंद्र की बिल्डिंग का निर्माण जरूरत के अनुसार एक और महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता एएनएम की नियुक्ति जो उसी क्षेत्र की होगी। हर उप-केंद्र को रुपया 10,000 की गैर मद निर्धारित अनुदान राशि दी जायेगी जो सरपंच और महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता एएनएम के नाम से बैंक में जमा होगा। महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता इसका इस्तेमाल ग्राम स्वास्थ्य समिति से चर्चा करके कर सकती है। सारी आवश्यक दवाईयां उपलब्ध होंगी। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के क्रियान्वयन हेतु / के क्षमता विकास के लिए निम्न कार्य किये जायेंगे - जरूरत के अनुसार बिल्डिंग का निर्माण प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र 24 घंटे खुले रहेंगे और नर्सिंग की सुविधा उपलब्ध होगी कुछ चुनिंदा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को 24 घंटे का अस्पताल बनाया जायेगा जिसमें आपातकालीन सेवाएं प्राप्त हो सकें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में दो और नर्स की नियुक्ति - कुल तीन नर्स जरूरत के अनुसार एक और डॉक्टर आयुश डॉक्टर - आयुर्वेदिक, यूनानी होमियोपैथी की नियुक्ति हर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को रुपया 10,000 का अनुदान मिलेगा जिसे स्थानीय स्वास्थ्य संबंधी कार्य के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के रख-रखाव के लिए रुपया 50,000 दिया जायेगा। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को चलाने के लिए इनमें रोगी कल्याण समिति का गठन। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को प्रोत्साहित करने के लिए रुपया 1,00,000 की अनुदान राशि। शर्त यह है कि यह राशि राज्य को तभी दी जाये जब राज्य यह वचन दे कि रोगी कल्याण समित जो पैसा इकटठा करती है उसे वह उसी के पास रहेगा, राज्य के खाते में नहीं जायेगा। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए :- सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की क्षमता का विकास / उच्च स्तरीय ताकि उनमें 24 घंटे चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध होंगी। निष्चेतना विशेषज्ञ की नियुक्ति आयुर्वेदिक युनानी होमियोपैथी क्लिनिक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के बिल्डिंग का निर्माण/ पुननिर्माण रोगी कल्याण समिति का गठन - जैसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए मापदंड - आइपीएचएस का पालन जरूरत के अनुसार नये सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शुरू करना सारे राष्ट्रीय कार्यक्रमों जैसे मलेरिया,पोलिओ,टीबी आदि और परिवार कल्याण कार्यक्रमों का राज्य और ज़िला स्तर पर समन्वयन राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के लिए जो ज़िला स्तर पर टीम बनेगी उसमें निजी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया जायेगा `आशा´ कार्यक्रम के निरीक्षण के लिए एक निगरानी समूह का गठन जननी सुरक्षा योजना सामाजिक निगरानी और जवाबदेही के लिए प्रबंध - गांव, ज़िला और राज्य के स्तर पर कमेटियां होंगी। ज़िला स्तर पर जन संवाद, राज्य स्तर पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के आदेशों का पालन हो रहा है या नहीं, सुनिश्चित करना सरकार, राज्य और ज़िला अपने स्तर पर जन- स्वास्थ्य की रिपोर्ट पेश करेगी।
ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन कार्य नीतियां[2]
- ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों पर बेहतर सुविधा के साथ मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर की संरचना कराना।
- स्वास्थ्य मिशन तहत आवश्यक नियम, शर्ते एवं मापदंड को तय कर अमल करवाना।
- इस तरह के मिशन के अंतर्गत अच्छी सेवा के लिए सरकारी खर्च में बढ़ोतरी किया जायेगा।
- मिशन में लक्ष्य और कार्य प्रगति से संबंधित महत्वपूर्ण विवरण नागरिको के साथ साझा किया जायेगा।
- पब्लिक, प्राइवेट हेल्थ मॉडल को फॉलो कर बेहतर स्वास्थ्य सेवा नागरिको को देना।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Rural Health Mission". मूल से 30 अप्रैल 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 23 जून 2012.
- ↑ Kumar Singh, Prakash (2023-02-19). "Rashtriya Gramin Swasthya Mission: राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन, उद्देश्य, लाभ". अभिगमन तिथि 2023-02-26.[मृत कड़ियाँ]
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करेंNRHM Health Statistics Information Portal Is Disabled
Uttar Pradesh National Health Mission and old portal Uttar Pradesh National Health Mission Archived 2022-01-04 at the वेबैक मशीन
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