राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग
राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) एक निकाय है। यह भारत सरकार और भारत की सभी राज्य सरकारों में न्यायिक अधिकारियों, कानूनी अधिकारियों तथा कानूनी कर्मचारियों की भर्ती, नियुक्ति तथा उनके स्थानांतरण के लिए उत्तरदायी है।
इतिहास
संपादित करेंइस आयोग की स्थापना भारत के ९९वें संविधान संशोधन अधिनियम २०१४ के अंतर्गत गई थी जिसे १३ अगस्त २०१४ को लोकसभा द्वारा तथा १४ अगस्त २०१४ को राज्यसभा द्वारा पारित किया गया था।[1] संविधान संशोधन अधिनियम के साथ, राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग द्वारा राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम २०१४ को भी पारित किया गया था, जो भारत की संसद द्वारा राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग के कार्यों को विनियमित करता है।[2] राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग बिल और संवैधानिक संशोधन बिल की पुष्टि भारत की १६ राज्य विधानसभाओं द्वारा भी की गई थी। इसके बाद ३१ दिसंबर २०१४ को भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा इसे स्वीकार किया गया। यह अधिनियम तथा संवैधानिक संशोधन अधिनियम १३ अप्रैल २०१५ से लागू हो गया। न्यायमूर्ति जगदीश सिंह खेहर, मदन लोकुर, कुरियन जोसेफ और अदरश कुमार गोयल ने ९९वें संशोधन की घोषणा की थी, जबकि न्यायमूर्ति जस्ती शेलमेश्वर ने इसे बरकरार रखा।
महत्व
संपादित करेंयह भारत में न्याय व्यवस्था के सुधार के लिए उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है।
राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग के लिए एक नया अनुच्छेद, अनुच्छेद 124 ए संविधान में जोड़ा गया है।
इन्हें भी देखें
संपादित करें
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "द कॉन्स्टिट्यूशंस (नाइंटी-नाइंथ) अमेंडमेंट) बिल, 2014" (PDF). भारत सरकार. मूल (PDF) से 19 अगस्त 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 अगस्त 2014.
- ↑ "नेशनल जुडिशियल अपॉयंटमेंट्स कमिशन बिल्स, 2014" (PDF). मूल (PDF) से 17 अगस्त 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 अगस्त 2014.