राष्ट्रीय महिला आयोग
राष्ट्रीय महिला आयोग (अँग्रेजी: National Commission for Women, NCW) भारतीय संसद द्वारा 1990 में पारित अधिनियम के तहत 31 जनवरी 1992 में गठित एक सांविधिक निकाय है।[1]यह एक ऐसी इकाई है जो शिकायत या स्वतः संज्ञान के आधार पर महिलाओं के संवैधानिक हितों और उनके लिए कानूनी सुरक्षा उपायों को लागू कराती है। आयोग की पहली प्रमुख सुश्री जननी पटनायक थीं। 17 सितंबर, 2014 को ममता शर्मा का कार्यकाल पूरा होने के पश्चात ललिता कुमारमंगलम को आयोग का प्रमुख बनाया गया था,मगर पिछले साल सितंबर में पद छोड़ने के बाद रेखा शर्मा को कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर यह संभाल रही थी,और अब रेखा शर्मा को राष्ट्रीय महिला आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है।[2]रास्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम की धारा 7 के तहत आयोग का गठन किया जाता हैl[उद्धरण चाहिए]
गतिविधियाँ
संपादित करेंराष्ट्रीय महिला आयोग का उद्देश्य भारत में महिलाओं के अधिकारों का प्रतिनिधित्व करने के लिए और उनके मुद्दों और चिंताओं के लिए एक आवाज प्रदान करना है। आयोग ने अपने अभियान में प्रमुखता के साथ दहेज, राजनीति, धर्म और नौकरियों में महिलाओं के लिए प्रतिनिधित्व तथा श्रम के लिए महिलाओं के शोषण को शामिल किया है, साथ ही महिलाओं के खिलाफ पुलिस दमन और गाली-गलौज को भी गंभीरता से लिया है।[3]
बलात्कार पीड़ित महिलाओं के राहत और पुनर्वास के लिए बनने वाले कानून में राष्ट्रीय महिला आयोग की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। अप्रवासी भारतीय पतियों के जुल्मों और धोखे की शिकार या परित्यक्त महिलाओं को कानूनी सहारा देने के लिए आयोग की भूमिका भी अत्यंत सराहनीय रही है।[4]
कार्य एवं अधिकार
संपादित करें1.आयोग के कार्यों में संविधान तथा अन्य कानूनों के अंतर्गत महिलाओं के लिए उपबंधित सुरक्षापायों की जांच और परीक्षा करना है। साथ ही उनके प्रभावकारी कार्यांवयन के उपायों पर सरकार को सिफारिश करना और संविधान तथा महिलाओं के प्रभावित करने वाले अन्य कानूनों के विद्यमान प्रावधानों की समीक्षा करना है।
2.इसके अलावा संशोधनों की सिफारिश करना तथा ऐसे कानूनों में किसी प्रकार की कमी, अपर्याप्तता, अथवा कमी को दूर करने के लिए उपचारात्मक उपाय करना है।
3.शिकायतों पर विचार करने के साथ-साथ महिलाओं के अधिकारों के वंचन से संबंधित मामलों में अपनी ओर से ध्यान देना तथा उचित प्राधिकारियों के साथ मुद्दे उठाना शामिल है।
4.भेदभाव और महिलाओं के प्रति अत्याचार के कारण उठने वाली विशिष्ट समस्याओं अथवा परिस्थितियों की सिफारिश करने के लिए अवरोधों की पहचान करना, महिलाओं के सामाजिक आर्थिक विकास के लिए योजना बनाने की प्रक्रिया में भागीदारी और सलाह देना तथा उसमें की गई प्रगति का मूल्यांकन करना इनके प्रमुख कार्य हैं।
6.साथ ही कारागार, रिमांड गृहों जहां महिलाओं को अभिरक्षा में रखा जाता है, आदि का निरीक्षण करना और जहां कहीं आवश्यक हो उपचारात्मक कार्रवाई किए जाने की मांग करना इनके अधिकारों में शामिल है। आयोग को संविधान तथा अन्य कानूनों के तहत महिलाओं के रक्षोपायों से संबंधित मामलों की जांच करने के लिए सिविल न्यायालय की शक्तियां प्रदान की गई हैं।
अध्यक्ष
संपादित करेंआयोग के प्रारंभ से अब तक के अध्यक्षों की सूची -
क्रम संख्या | नाम | कार्यकाल प्रारंभ | कार्यकाल समाप्त |
---|---|---|---|
1 | जयंती पटनायक | 03/02/1992 से | 30.01.1995 तक |
2 | वी मोहिनी गिरि | 21.07.1995 | 20.07.1998 |
3 | विभा पार्थसारथी | 18.01.1999 | 17.01.2002 |
4 | पूर्णिमा आडवाणी | 25.01.2002 | 24.01.2005 |
5 | गिरिजा व्यास | 16.02.2005 | 15.02.2008 |
6 | गिरिजा व्यास | 09.04.2008 | 08.04.2011 |
7 | ममता शर्मा | 02.08.2011 | 01.08.2014 |
8 | ललिता कुमारमंगलम | 2014 | 2018 |
9 | रेखा शर्मा | 2018 से अब तक |
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ राष्ट्रीय महिला आयोग के बारे में Archived 2009-09-07 at the वेबैक मशीन आयोग का आधिकारिक जालस्थल
- ↑ . लाइव हिंदुस्तान 19 सितंबर 2014 https://web.archive.org/web/20180810174103/https://www.livehindustan.com/news/desh/national/article1-BJP-national-executive-member-Lalitha-Kumar-Mangalam-39-39-451714.html. मूल से 10 अगस्त 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 सितंबर 2014. गायब अथवा खाली
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(मदद) - ↑ "TA gallery of failures" [विफलताओं की एक गैलरी] (अंग्रेज़ी में). इंडिया टुगेदर 19 सितंबर 2014. मूल से 16 सितंबर 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 सितंबर 2014.
- ↑ "राष्ट्रीय महिला आयोग की भूमिका". वेब दुनिया हिन्दी 19 सितंबर 2014. मूल से 9 मई 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 सितंबर 2014.