राष्ट्रीय विज्ञान दिवस
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस विज्ञान से होने वाले लाभों के प्रति समाज में जागरूकता लाने और वैज्ञानिक सोच पैदा करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तत्वावधान में हर साल 28 फरवरी को भारत में मनाया जाता है।
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस रमन प्रभाव की खोज के कारण मनाया जाता है। इस खोज की घोषणा भारतीय वैज्ञानिक सर चंद्रशेखर वेंकट रमन (सर चन्द्रशेखर वेंकटरमन ने 28 फरवरी सन् 1928 को की थी। इसी खोज के लिये उन्हे 1930 में नोबल पुरस्कार दिया गया था।
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का उद्देश्य
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का मूल उद्देश्य विद्यार्थियों को विज्ञान के प्रति आकर्षित व प्रेरित करना तथा जनसाधारण को विज्ञान एवं वैज्ञानिक उपलब्धियों के प्रति सजग बनाना है।[1] विज्ञान के बिना विकास की राह में तीव्रता से आगे नहीं बढ़ा जा सकता है। विज्ञान से गलत धारणा और अंधविश्वासों (अन्धविश्वासों) का विनाश होता है। विज्ञान और तकनीक को प्रसिद्ध करने के साथ ही देश के नागरिकों को इस क्षेत्र मौका देकर नई ऊँचाइयों को हासिल करना भी इसका मुख्य उद्देश्य है।
देश के विकास के लिए वैज्ञानिक सोच का प्रसार आवश्यक है। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस जैसे आयोजन वैज्ञानिक दृष्टिकोण के प्रसार में निश्चित रूप से सहायक सिद्ध हो सकते हैं। विज्ञान के द्वारा ही हम समाज के लोगों का जीवन स्तर अधिक से अधिक खुशहाल बना सकते हैं। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस विज्ञान से होने वाले लाभों के प्रति समाज में जागरूकता लाने और वैज्ञानिक सोच पैदा करने के उद्देश्य से मनाया जाता है।[2]
इस दिन सभी विज्ञान संस्थानों, जैसे राष्ट्रीय एवं अन्य विज्ञान प्रयोगशालाएं, विज्ञान अकादमियों, स्कूल और कॉलेज तथा प्रशिक्षण संस्थानों में विभिन्न वैज्ञानिक गतिविधियों से संबंधित प्रोग्राम आयोजित किए जाते हैं। महत्त्वपूर्ण आयोजनों में वैज्ञानिकों के भाषण, निबंध, लेखन, विज्ञान प्रश्नोत्तरी, विज्ञान प्रदर्शनी, सेमिनार तथा संगोष्ठी इत्यादि सम्मिलित हैं। विज्ञान के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए राष्ट्रीय एवं दूसरे पुरस्कारों की घोषणा भी की जाती है। विज्ञान की लोकप्रियता को बढ़ाने के लिए विशेष पुरस्कार भी रखे गए हैं।
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का थीम (विषय)
वर्ष 1999 - “हमारी बदलती धरती”।
वर्ष 2000 - “मूल विज्ञान में रुचि उत्पन्न करना”।
वर्ष 2001 - “विज्ञान शिक्षा के लिये सूचना तकनीक”।
वर्ष 2002 - “पश्चिम से धन”।
वर्ष 2003 - “जीवन की रुपरेखा- 50 साल का डीएनए और 25 वर्ष का आईवीएफ”।
वर्ष 2004 - “समुदाय में वैज्ञानिक जागरुकता को बढ़ावा देना”।
वर्ष 2005 -“भौतिकी को मनाना”।
वर्ष 2006 - “हमारे भविष्य के लिये प्रकृति की परवरिश करें”।
वर्ष 2007 - “प्रति द्रव्य पर ज्यादा फसल”।
वर्ष 2008 - “पृथ्वी ग्रह को समझना”।
वर्ष 2009 - “विज्ञान की सीमा को बढ़ाना”।
वर्ष 2010 - “दीर्घकालिक विकास के लिये लैंगिक समानता, विज्ञान और तकनीक”।
वर्ष 2011 - “दैनिक जीवन में रसायन”।
वर्ष 2012 - “स्वच्छ ऊर्जा विकल्प और परमाणु सुरक्षा”।
वर्ष 2013 - “अनुवांशिक संशोधित फसल और खाद्य सुरक्षा”।
वर्ष 2014 - “वैज्ञानिक मनोवृत्ति को प्रोत्साहित करना”।
वर्ष 2015 - “राष्ट्र निर्माण के लिये विज्ञान”।
वर्ष 2016 - "देश के विकास के लिए वैज्ञानिक मुद्दों पर सार्वजनिक प्रशंसा बढ़ाने के लक्ष्य" ।
वर्ष 2017 - "विशेष रूप से एबल्ड पर्सन के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी"।
वर्ष 2018 - "एक सतत भविष्य के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी।"
वर्ष 2019 - "विज्ञान के लिए जन और जन विज्ञान के लिए विज्ञान।"
वर्ष 2020 - "विज्ञान में महिलाएँ।"
इन्हें भी देखें
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ "National Science Day 2021 [Hindi]: जानिए तत्वज्ञान और रमन प्रभाव के बारे में". S A NEWS (अंग्रेज़ी में). 2021-02-28. अभिगमन तिथि 2021-02-28.
- ↑ WD. "28 फरवरी : क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय विज्ञान दिवस". hindi.webdunia.com. अभिगमन तिथि 2021-02-28.