राष्ट्रीय कैंसर संस्थान
राष्ट्रीय कैंसर संस्थान की स्थापना का प्रस्ताव 26 दिसम्बर 2013 को स्वीकृत किया गया। ये संस्थान नई दिल्ली के पास हरियाणा में झज्जर जिले के बाढ़सा गांव में [[
भारतीय चिकित्सा विज्ञान संस्थान]] (एआईआईएमएस) के परिसर में खोला जायेगा और इस परियोजना के 45 महीनों में पूरी कर लिये जाने का अनुमान है।[1]
संस्थान की स्थापना कैंसर अनुसंधान क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है और इससे देश के उत्तरी क्षेत्र में कैंसर मरीजों के कारण अस्पतालों पर पड़ने वाला बोझ कम होगा। इस समय कैंसर भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक बड़ी चिंता बनकर उभर रहा है, जहां हर साल 11 लाख नये मरीज कैंसर से पीडि़त पाये जाते हैं। इनमें से 5.5 लाख हर साल मौत के मुंह में समा जाते हैं। भारत में कैंसर के इलाज की विश्व स्वास्थ्य संगठन मानक के अनुसार कमी है। इस मानक के अनुसार एक मिलियन (10 लाख) आबादी पीछे एक रेडियोथैरेपी मशीन होनी चाहिए। भारत में इस समय दस लाख आबादी पर 0.41 मशीनें उपलब्ध है। आशा है कि इस संस्थान की स्थापना से कैंसर इलाज की सुविधा बढ़ाने एक नया अभियान शुरू होगा।
राष्ट्रीय कैंसर संस्थान अमरीका के एनसीआई और जर्मनी के डीकेएफजेड की तर्ज पर चलाया जायेगा और यह कैंसर के क्षेत्र में अनुसंधान, निवारक और रोग मुक्त करने तथा मानव संसाधन विकास में एक महत्वपूर्ण संस्था होगी। इस संस्थान का उद्देश्य कई प्रकार के कैंसर पर अनुसंधान होगा जैसे तम्बाकू से पैदा होने वाले कैंसर, गर्भाशय की ग्रीवा पर होने वाले कैंसर, गाल ब्लैडर कैंसर और जिगर में होने वाले कैंसर पर अनुसंधान करना और उसमें तालमेल लाना। संस्थान का जोर इस बात होगा कि कैंसर को समझकर और विश्लेषण करके बीमारी के कारणों का पता लगाया जाये। इससे तजुर्बे को मरीजों के फायदे में बदला जा सकेगा और कैंसर के इलाज की सेवाओं में महत्वपूर्ण नीतियां बनाई जा सकेंगी, ताकि इस बीमारी के निदान और इलाज तथा मरीजों के रहन-सहन की गुणवत्ता में सुधार लाया जा सके।
बजट
संपादित करेंइस पर रूपये 2035 करोड़ रूपये खर्च आयेगा।[1]
प्रभाग
संपादित करेंप्रस्तावित संस्थान में कई प्रभाग होंगे। इनमें से एक होगा रोग प्रबधंन ग्रुप (डीएमजी)। ये ग्रुप विभिन्न मरीजों के विवरण और सुविधाओं का अध्ययन करेंगे। इस संस्थान में 710 बिस्तर होंगे तथा अन्य सुविधाओं में शल्य चिकित्सा, रेडिएशन आंकोलॉजी, मेडिकल आंकोलॉजी आदि। इस संस्थान में ऊतक (टिशू) रिपोजिटरी भी होगी जो भारत में पहली बार बनाई जा रही है।[1]