रुस्तम फारस (इरान) का एक विख्यात वीर और योद्धा था। रुस्तम का समय ईसा की नवीं शती माना जाता है।

वह जालजार का पुत्र और शाम का पौत्र था। राजा बाहमन से हुई एक लड़ाई में उसकी मृत्यु हुई। जब वह युद्ध पर जानेवाला था तो उसकी स्त्री गर्भवती थी। अभियान पर जाते समय उसने उसे एक ताबीज दिया और कह दिया कि यदि लड़के का जन्म हो तो उसके हाथ में यह ताबीज बाँध दिया जाए। लड़के की उत्पत्ति होने पर उसका नाम सोहराब रखा गया किंतु शत्रुओं से बालक की रक्षा के विचार से तथा उसे अपने ही संरक्षण में रखे रहने की गरज से माता ने यह बात छिपा रखी और रुस्तम को यह खबर भेज दी गई कि लड़की पैदा हुई है। इससे रुस्तम को बड़ी निराशा हुई और वह घर न लौटकर अज्ञातवास में ही रहने लगा। निदान कई वर्ष बीतने पर सोहराब को भी युद्ध पर जाना पड़ा। संयोग से समरभूमि में रुस्तम से ही उसका मुकाबला हुआ जिसमें पहचाने न जाने के कारण वह धोखे से पिता के हाथ से मारा गया।

अंग्रेजी में मैथ्यू आर्नल्ड नामक कवि ने 'सोहराब एंड रुस्तम' नामक खंडकाव्य में 'शाहनामा' के आधार पर इस घटना का बड़ा ही करुण और रोमांचकारी वर्णन किया है।