रेलवे बोर्ड
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रेलवे बोर्ड[1] भारतीय रेल को चलाने वाली सबसे बड़ी बॉडी है. क़रीब 22 हज़ार ट्रेनें हर रोज ढाई करोड़ मुसाफिर और 65 हजार किलोमीटर के भारतीय रेल के नेटवर्क की सारी ज़िम्मेदारी रेलवे बोर्ड के पास होती है. रेल बोर्ड के अध्यक्ष भारत सरकार के प्रधान सचिव की रैंक के अफसर होते हैं. इसके अलावा बोर्ड में 6 सदस्य होते हैं जो भारत सरकार के सचिव के बराबर होते हैं.
रेल बोर्ड के चेयरमैन और सदस्यों की नियुक्ति एसीसी यानि अपॉइंटमेंट कमेटी ऑफ़ कैबिनेट करती है. इसके लिए रेल मंत्रालय की तरफ से तीन वरिष्ठतम अधिकारियों के नाम एसीसी को भेजा जाता है. एसीसी इन नामों में से एक नाम का चयन संबंधित पद के लिए करती है. एसीसी में प्रधानमंत्री, डीओपीटी यानि डिपार्टमेंट ऑफ़ पर्सनल एंड ट्रेनिंग के मंत्री और रेल मंत्री होते हैं.
रेल बोर्ड के अध्यक्ष सभी सदस्यों के प्रमुख होते हैं और वह रेलवे के सारे फ़ैसलों में शामिल होते हैं. इसके अलावा उनके पास रेलवे की सभी प्रोडक्शन यूनिट (कोच फ़ैक्ट्री), डीएफ़सीसीएल (डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कार्पोरेशन लि.), रेल टेल जैसी रेलवे की पीएसयू की ज़िम्मेदारी होती है. डीएफसीसीएल भारतीय रेल के लिए मालगाड़ियों के लिए समर्पित माल गलियारा बना रहा है. जबकि रेल टेल रेलवे के इंटरनेट, सूचना साधनों, टेलिकॉम और सिग्लनिंग के लिए काम करता है.
रेलवे बोर्ड भारतीय रेल को चलाने वाली सबसे बड़ी बॉडी है. क़रीब 22 हज़ार ट्रेनें हर रोज ढाई करोड़ मुसाफिर और 65 हजार किलोमीटर के भारतीय रेल के नेटवर्क की सारी ज़िम्मेदारी रेलवे बोर्ड के पास होती है. रेल बोर्ड के अध्यक्ष भारत सरकार के प्रधान सचिव की रैंक के अफसर होते हैं. इसके अलावा बोर्ड में 6 सदस्य होते हैं जो भारत सरकार के सचिव के बराबर होते हैं.
रेल बोर्ड के चेयरमैन और सदस्यों की नियुक्ति एसीसी यानि अपॉइंटमेंट कमेटी ऑफ़ कैबिनेट करती है. इसके लिए रेल मंत्रालय की तरफ से तीन वरिष्ठतम अधिकारियों के नाम एसीसी को भेजा जाता है. एसीसी इन नामों में से एक नाम का चयन संबंधित पद के लिए करती है. एसीसी में प्रधानमंत्री, डीओपीटी यानि डिपार्टमेंट ऑफ़ पर्सनल एंड ट्रेनिंग के मंत्री और रेल मंत्री होते हैं. (रेल हादसों के बाद रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने दिया इस्तीफा)
रेल बोर्ड के अध्यक्ष सभी सदस्यों के प्रमुख होते हैं और वह रेलवे के सारे फ़ैसलों में शामिल होते हैं. इसके अलावा उनके पास रेलवे की सभी प्रोडक्शन यूनिट (कोच फ़ैक्ट्री), डीएफ़सीसीएल (डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कार्पोरेशन लि.), रेल टेल जैसी रेलवे की पीएसयू की ज़िम्मेदारी होती है. डीएफसीसीएल भारतीय रेल के लिए मालगाड़ियों के लिए समर्पित माल गलियारा बना रहा है. जबकि रेल टेल रेलवे के इंटरनेट, सूचना साधनों, टेलिकॉम और सिग्लनिंग के लिए काम करता है.
ये हैं रेल बोर्ड के महत्वपूर्ण सदस्य
मेंबर ट्रैफ़िक (MT): रेल बोर्ड में अध्यक्ष के बाद दूसरा सबसे महत्वपूर्ण पद मेंबर ट्रैफ़िक (MT) का माना जाता है. इनके पास रेल यातायात, ट्रनों की टाइमिंग, पार्सल, रिज़र्वेशन जैसी बड़ी ज़िम्मेदारी होती है. मेंबर ट्रैफिक के पास रेलवे की महत्वपूर्ण पीएसयू आईआरसीटीसी की ज़िम्मेदारी होती है. साथ ही आईआरसीए और बड़ी कमाई देने वाली पीएसयू कंटेनर कार्पोरेशन की निगरानी भी एमटी के पास होती है.
मेंबर स्टाफ: यह रेलवे के पूरे मानव संसाधन के प्रमुख होते हैं. इनकी निगरानी में ही रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड और रेलवे रिक्रूटमेंट सेल होता है जो रेल कर्माचारियों की नियुक्ति करता है. इसके असावा मेंबर स्टाफ के पास सीआरआईएस (क्रिस) जो रेलवे का साफ़्टवेयर मेंटेन करता है और रेलवे सुरक्षा बल की ज़िम्मेदारी होती है.
वित्त आयुक्त: इनके पास रेलवे के सारे वित्त की ज़िम्मेदारी होती है. रेलवे के राजस्व के संचालन के अलावा इनके पास इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉर्पोरेशन यानी आईआरएफ़सी की ज़िम्मेदारी होती है जो रेलवे में निवेशकों को लाने का काम करता है.
मेंबर इंजिनीयरिंग (ME): एमई के पास रेल लाइन, रेलवे के निर्माण, सिविल वर्क्स, ब्रिज की ज़िम्मेदारी होती है. इसके अलावा रेलवे आईआरसीओएन यानी इरकॉन जो बड़े पैमाने पर देश-विदेश में रेलवे के निर्माण का काम करता है उसकी ज़िम्मेदारी होती है. रेलवे की एक और पीएसयू रेल विकास निगम लिमिटेड और रेल लैंड डेवलपमेंट ऑथोरिटी की ज़िम्मेदारी भी एमई की होती है.
मेंबर ट्रैक्शन: पहले इन्हें मेंबर इलेक्ट्रिकल के नाम के जाना जाता था. क़रीब एक साल पहले उनकी ज़िम्मेदारी में थोड़ा बदलाव कर इस पद के नाम को भी बदला गया था. मेंबर ट्रैक्शन रेलवे के हर इलेक्ट्रिकल वर्क के प्रमुख होते है.
मेंबर रोलिंग स्टॉक (एमआरएस): इनके पास सभी ट्रेनों के डब्बे जिनमें मेल-एक्सप्रेस, सवारी, मालगाड़ी हर तरह के डिब्बों की जिम्मेदारी होती है. डिब्बों का डिज़ाइन, मेंटेनेंस और उपलब्धता जैसे हर मामले की देखरेख इनके पास होती है. इसके अलावा एमआरएस के पास आरआईटीईस (रेल इंडिया टेक्लिकल एंड इकॉनोमिक सर्विसेस लि.) और भारत वैगन जैसी पीएसयू की भी ज़िम्मेदारी होती है.