रेल प्रशासन को सौंपे गए समान के खो जाने, क्षय हो जाने या सुपुर्दगी न होने तथा यात्रियों के हताहत होने की दशा मे अथवा यात्री को रेल दुर्घटना मे हुई हानि की दशा मे रेल प्रशासन की जवाबदेही रेल अधिनियम-१९८९ मे इंगित है। रेल दुर्घटना के विक्टिम या रेल यात्रा के दौरान यात्रियों को हुई हानि की स्थिति मे रेल उपयोगकर्ताओ को शीघ्र मुवावजा देने के लिए या किराया और माल भाडे की वापसी के मामलो के त्वरित निर्णय देने के लिए रेल दावा अधिकरण (Railway Claims Tribunal) की स्थापना की गई थी। ऐसा सोचा गया था की इस तरह का न्यायिक और तकनिकी सदस्यों वाला दावा अधिकरण जिसकी पीठ देश के विभिन्न भागो मे हो रेल उपयोगकर्ताओ को अतिशीघ्र राहत देगा और नागरिक न्यायालयों का भार कम करेगा।

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