रेशे तथा उनका न्यायालयिक विज्ञान मे उपयोग

रेशे (फाइबर):- भारत में जूट का उपयोग सदियों से होता रहा है। रेशे का उपयोग वस्त्र , कारपेट, चटाई ,रस्सी बोरी आदि के निर्माण के लिए किया जाता है। सबसे पहले सन के रेशो का इस्तेमाल ल्किया जाता था। अर्ध्संशेल्षित रेशो में सबसे पहले नाइटरोसेलुलोसे के रेशो का उपयोग किया गया। रेशे किसी भी टेक्सटाइल या कपडे का सबसे छोटा और पूर्ण हिस्सा है जैसे हमारे शरीर का सबसे छोटा और पूर्ण हिस्सा कोशिका है उसी तरह रेशा कपडे या टेक्सटाइल का हिस्सा है

अनेक प्रकार के अपराध स्थलों पर रेशो पाए जाते है अब रेशो एक महतवपूर्ण साक्ष्यो के रूप में देखा जाता है। रेशे अपराध स्थल जैसे हत्या, डैकती, चोरी, बलात्कार इत्यादि केस में देखने को मिलते हैं। रेशे जब दो व्यक्ति या फिर एक व्यक्ति किसी दुसरी वस्तु के प्रभाव (contact) में आता है तब रेशो का आदान प्रदान होता है। रेशे आमतौर पर कपडे,दरी,चादर, गलीचा आदि से आते हैं।

रेशे एक तरह से ट्रेस साक्ष्य(Trace evidence) है जिन्हें ढूँढने के लिए थोड़ी मेहनत करनी पड़ती है तथा कई उप्कर्नो का भी उपयोग करना पड़ता है जैसे की आवर्धक लैन्स, या सुक्षम्दर्शी शीशे का उपयोग करना पड़ता है। अपराध जांचकर्ता किसी भी प्रकार के रेशे से जो अपराध स्थल पर पाया गया हो , अपराधी और अपराध स्थल को जोड़ने का प्रयास करता है। कई केस में अभियोगी पक्ष के अधिकारियो ने रेशो से जुडी जानकारी को आधार बना कर कई अपराध सिद्ध किये हैं।

रेशो का परिक्षण (fiber examination):-

रेशो के परीक्षण के लिए उन्हें न्यायालिक प्रयोगशालाओ में विभीन्न तरीको का उपयोग किया जाता है। न्यायालिक विज्ञानं के वैज्ञानिक कोशिश करते है की ज्यादा से ज्यादा अविनाश्कारी (NON-destructive) 1950 तकनीको का उपयोग करे ताकि साक्ष्य को कोई नुकसान न पहुँच पाए। विनाशकारी (destructive) तकनीको का प्रयोग बहूत ही दुर्लभ होता है क्योंकि इनसे साक्ष्यो को हनी पहुँचती है जिस से उसकी उपियोगिता कम्म्हो सकती है। रेशो के परिक्षण के लिए निम्नलिखित तरीके प्रयोग में लाये जाते है :-

दृश्यात्मक अध्यन( visual examination) सबसे पहले रेशे को सामान्य परीक्षण किया जाता है और उसके रंग, तथा आकार का अध्यन किया जाता है।

सुक्षम्दर्शी द्वारा परीक्षण ( microscopic examination) रेशो को अलग अलग तरह के सूक्ष्म दर्शी यंत्र के द्वारा अलग अलग तरह से परीक्षण करते है जैसे प्रकाश चालित सुक्षम्दर्शी (light microscope) से रेशो की संरचना तथा रेशो की गिनती की जाती है और तुलनात्मक सुक्षम्दर्शी comparision microscope से दो रेशो को इकठे परिक्षण करके एक दुसरे से तुलना की जाती है।