रोज़ेसी (Rosaceae) आर्किक्लामिडिई (Archichlamydeae) प्रभाग के रोज़ेलीज गण का बड़ा कुल है। इस कुल में १०० वंश और २,००० स्पीशीज़ हैं। इस विश्वव्यापी कुल के पौधे द्विबीजपत्री होते हैं। शाक, क्षुप एवं वृक्ष सभी इस कुल के सदस्य हैं। बहुवर्षी उपरिभूस्तरी का उदाहरण स्ट्रॉबेरी, काँटेदार क्षुप का उदाहरण गुलाब तथा वृक्ष का उदाहरण सेब, नाशपाती तथा चेरी हैं। कायिक प्रवर्धन, चेरी में मूल से निकलेप्ररोह से, स्ट्रॉबेरी में उपरिभूस्तरी (runner) द्वारा, जो शीर्ष पर जड़ बना जाती है और रैस्पबेरी में अंत:भूस्तरी (suckers) द्वारा होता है। उपगण प्रूनॉइडी में पत्तियाँ साधारण होती हैं। जीनस पाइरस में पत्तियाँ अनुपर्णी (stipulate) होती हैं और अनुपर्ण कभी छोटे और कभी बड़े होते हैं। वृक्षों की आंतरिक संरचना मूलभूतरूपेण एकसदृश होती है। उपगण रोज़ॉइडी आदि में मज्जारश्मि (medullary rays) चौड़ी तथा पोमॉइडी में सकरी होती है। प्रूनॉइडी में काष्ठ विघटन से श्लेष्मक (mucilage) निर्मित होता है।

पुष्प अग्रस्थ, अथवा असीमाक्षी (racemose) या सीमाक्षी (cymose) होता है। पुष्पाक्ष प्राय: गर्ती (hollow) होता है, जिससे विभिन्न श्रेणी की परिजायांगीय (perigynous) अवस्था निर्मित हो जाती है। पुष्पाक्ष प्राय: पुष्प का ही एक अंग होता है। पुष्प प्राय: द्विलिंगी, बहुयुग्मी होते हैं। पाँच हरे बाह्यदल होते हैं। एपिकैलिक्स (epicalyx) भी, जो प्राय: छोटा होता है, उपस्थित रहता है। प्राय: पाँच रंगीन दल होते हैं। नीले दल केवल क्राइसोवेलनाइडी में रहते हैं। एलचीमेला, पोटीरियम आदि में दल अनुपस्थित रहते हैं। पुमंग तथा दल के मध्य में प्राय: परागकोश स्थित रहता है। २, ३, ४ या अधिक पुंकेसर अंतर्मुख होते हैं। जायांग प्राय: पृथक्‌ अंडप (१-¥) तथा बीजांड अधोमुख होता है। प्रत्येक अंडाशय में दो वार्तिक या आधारीय पार्श्व होते हैं। इस कुल के फल सरस होते हैं। पोटेंटिला में एकीन का पुंजफल, रूबस में गुठलीदार पुंजफल, प्रुनस में केवल एक गुठलीदार फल तथा पाइरस में पोम (pome) होता है।

उपकुल संपादित करें

रोज़ेंसी कुल के निम्नलिखित उपकुल हैं :

१. स्पाइरिऑइडी (Spiraeoideae) - यह उपकुल सैक्सफ्रीैगेसी के समान है। इसका पुष्पाक्ष चपटा अथवा अवतल (concave) होता है। इसके अनेक पौधे बगीचों में लगाए जाते हैं। क्विलेजा सैपोनेरिया की छाल से सैपोनिन निकाला जाता है। लिंडलिया का जायांग युक्तांडप तथा फल स्फोटी होता है।

२. पोमॉइडी - इसका पुष्प धर (receptacle) गहरे कटोरे के रूप का हाता है। पुष्पधर की आंतरिक दीवारों से दो से पाँच तक अंडप (carpel) जुड़े रहते हैं। ये अंडप आपस में भी जुड़े रहते हैं। फल का मुख्य भाग सरस पुष्पधर होता है। इसके मुख्य जीनस हैं : पाइरस, पा. मैलस (सेब), [पा. कम्युनिस (नाशपाती) आदि], मेसपालस, क्रैटेगस, कोटोनिऐस्टर तथा इरियोबाट्रिया, जयोनिटा (लुकाट) इत्यादि।

३. रोज़ॉइडी' - इसमें अनेक अंडप हाते हैं, जो पुष्पधर में रहते हैं। यह उपकुल रोज़ेसी के सब उपकुलों से बड़ा है। अलमेरिया, रूबस फ्रुटिकोकस (ब्लैकबेरी), फ्रैगेरिया, पोटेंटिला, ड्रियास (वतित्तकायुक्त), रोज़ (अनेक स्पीशीज़ सहित), एल्चेमिला (एकलिंगी) तथा एग्रिमोनिया (अनेक काँटोयुक्त फल) इसके उदाहरण हैं।

४. न्यूरैडॉइडी - इसमें केवल दो जेनरा हैं, जो मरुस्थली हैं। न्यूरैडा तथा ग्रीलम प्राय: अफ्रीका में होते हैं।

५. प्रूनॉइडी - इसमें प्राय: अंतस्थ वर्तिकायुक्त एक अंडप होता है। फल गुठलीदार एवं एक बीजवाला होता है। प्रूनस के क्षुप, अथवा वृक्षरूप न्यूटेलिया में पाँच अंडप होते हैं। प्रूनस जीनस अनेक उपजेनरा में विभक्त है। इनमें विभेद का आधार कलिका अवस्था में पत्तियों का विन्यास है। इसका एक उपजीनस एमिगडिलस, अथवा प्रूनस एमिगडिलस (बादाम), है। प्रू. परसिका (आडू), प्रू. अरमेनियाका (जरदालू), प्रू. कैरैसिफेरा आदि प्रूनस के स्पीशीज है। इस उपकुल में पाँच जेनरा हैं।

६. क्रिसोवेलनॉइडी - गुठलीदार फल और एक अंडप रखने के कारण यह उपगण प्रूनाइडी के सदृश है, पर अधारीय वर्त्तिका, आरोही बीजांड तथा एक व्यास सममित (zygomorphic) फूल के कारण प्रूनॉइडी से भिन्न है। इसके पुष्प का पराण लंबी शुंड वाले कीट से होता है। एक व्यास सममित फूल के कारण यह उपकुल लेग्यूमिनोसी के सदृश है।

आर्थिक दृष्टि से यह कुल विभिन्न फलों तथा पुष्पों के कारण उपयोगी है।

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