लक्ष्मण झूला ऋषिकेश में गंगा नदी पर बना एक पुल है।यह झूला ब्रिटिश साम्राज्य के समय बना। इसको बने हुए 144 वर्ष हुुए हैं। लक्ष्मण झूला ऋषिकेश का सबसेे प्रसिद्ध झूला है। लेकिन यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते 2020 से पूर्णतः बन्द कर दिया गया।

लक्ष्मण झूला

इतिहास संपादित करें

पुरातन कथनानुसार भगवान श्रीराम के अनुज लक्ष्मण ने इसी स्थान पर जूट की रस्सियों के सहारे नदी को पार किया था। स्वामी विशुदानंद की प्रेरणा से कलकत्ता के सेठ सूरजमल झुहानूबला ने यह पुल सन् 1889 में लोहे के मजबूत तारों से बनवाया, इससे पूर्व जूट की रस्सियों का ही पुल था एवं रस्सों के इस पुल पर लोगों को छींके में बिठाकर खींचा जाता था। लेकिन लोहे के तारों से बना यह पुल भी 1924 की बाढ़ में बह गया। इसके बाद मजबूत एवं आकर्षक पुल बनाया गया।[1]

निकटस्थ संपादित करें

इस पुल के पश्चिमी किनारे पर भगवान लक्ष्मण का मंदिर है जबकि इसके दूसरी ओर श्रीराम का मंदिर है। कहा जाता है कि श्रीराम स्वयं इस सुंदर स्थल पर पधारे थे। पुल को पार कर बाईं ओर पैदल रास्ता बदरीनाथ को तथा दायीं ओर स्वर्गाश्रम को जाता है। केदारखंड में इस पुल के नीचे इंद्रकुंड का विवरण है, जो अब प्रत्यक्ष नहीं है।

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "Lakshman Jhula". India9.com. मूल से 6 जून 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2009-07-20.


बाहरी कड़ियाँ संपादित करें