लखीसराय (Lakhisarai) भारत के बिहार राज्य के लखीसराय ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है। यहाँ के लोग मगही बोलते हैं।[1][2]

लखीसराय
Lakhisarai
Shaheed Dwar Lakhisarai, Bihar
लखीसराय is located in बिहार
लखीसराय
लखीसराय
बिहार में स्थिति
निर्देशांक: 25°10′59″N 86°05′46″E / 25.183°N 86.096°E / 25.183; 86.096निर्देशांक: 25°10′59″N 86°05′46″E / 25.183°N 86.096°E / 25.183; 86.096
देश भारत
प्रान्तबिहार
ज़िलालखीसराय ज़िला
जनसंख्या (2011)
 • कुल99,979
भाषा
 • प्रचलितहिन्दी, मगही, मगही

लखीसराय किऊल नदी के किनारे बसा हुआ है।|राष्ट्रीय राजमार्ग 80 यहाँ से गुज़रता है। यह बिहार के महत्वपूर्ण शहरों में एक है।इस जिले का गठन 3 जुलाई 1994 को किया गया था।इससे पहले यह मुंगेर जिला के अंतर्गत आता था। इतिहासकार इस शहर के अस्तित्व के संबंध में कहते हैं कि यह पाल वंश के समय अस्तित्व में आया था। यह दलील मुख्य रूप से यहां के धार्मिक स्थलों को साक्ष्य मानकर दिया जाता है। चूंकि‍ उस समय के हिंदू राजा मंदिर बनवाने के शौकीन हुआ करते थे, अत: उन्होंने इस क्षेत्र में अनेक मंदिरों का निर्माण करवाया था। इन मंदिरों में कुछ महत्वपूर्ण तीर्थस्थान इस प्रकार हैं - अशोकधाम, भगवती स्थान बड़हिया, श्रृंगऋषि, जलप्पा स्थान,ब्रह्मस्थान पवई, चैती दुर्गा स्नाथ पवई, आश्विन दुर्गा स्थान पवई, पंचमुखी महादेव स्थान बेलथुआ (पवई), माँ कालिका स्थान पवई, माँ चण्डिका स्थान पवई, माँ दुर्गा मंदिर तेतरहाट,हनुमान मंदिर तेतरहाट, माँ दुर्गा मंदिर शरमा,बाबा शोभनाथ मंदिर,माँ सति स्थान,गोबिंद बाबा स्थान, मानो-रामपुर,यक्षराज बाबा स्थान रामचन्द्र पुर, दुर्गा स्थान रामगढ़ चौक और बजरंगबली मंदिर बेलदरिया आदि। इसके अलावा महारानी स्थान, दुर्गा मंदिर देखने लायक हैं।

लखीसराय प्राचीन काल से ही शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी रहा है क्योंकि लखीसराय पाल वंश की राजधानी रही है एवं बहुत बहुत बोध साधुओं संतो का अध्ययन केंद्र रहा है लखीसराय वर्तमान समय में शिक्षा के क्षेत्र में काफी आगे है। लखीसराय जिले में कई सारे कॉलेज एवं स्कूल स्थित है |यहां निजी और सरकारी दोनों संस्थान हैं | निजी तौर पर इंटरनेशनल कॉलेज घोसैठ लखीसराय केन्द्रीय विद्यालय, बालिका विद्यापीठ, सरस्वती शिशु/विद्या मंदिर, डीएवी, किडश्री स्कूल,भविष्य भारती सभी विद्यालय लखीसराय में स्थित है एवं के. एस. एस .कॉलेज, आर लाल कॉलेज उनमें से प्रमुख हैं। यहां +2 जनता हाय स्कूल अलीनगर लखीसराय , के. आर. के .हाई स्कूल स्थित है |

लखीसराय की स्थापना पाल वंश के दौरान एक धार्मिक-प्रशासनिक केंद्र के रूप में की गई थी। यह क्षेत्र हिंदू और बौद्ध देवी देवताओं के लिए प्रसिद्ध है। बौद्ध साहित्य में इस स्थान को अंगुत्री के नाम से जाना जाता है। इसका अर्थ है- जिला। प्राचीन काल में यह अंग प्रदेश का सीमांत क्षेत्र था। पाल वंश के समय में यह स्थान कुछ समय के लिए राजधानी भी रह चुका है। इस स्थान पर धर्मपाल से संबंधित साक्ष्य भी प्राप्त हुए हैं। जिले के बालगुदर क्षेत्र में मदन पाल का स्मारक (1161-1162) भी पाया गया है। ह्वेनसांग ने इस जगह पर 10 बौद्ध मठ होने के संबंध में विस्तार से बताया है।

उनके अनुसार यहां मुख्य रूप से हीनयान संप्रदाय के बौद्ध मतावलंबी आते थे। इतिहास के अनुसार 11वीं सदी में मोहम्मद बिन बख्तियार ने यहां आक्रमण किया था। शेरशाह ने 15वीं सदी में यहां शासन किया था जबकि यहां स्थित सूर्यगढ़ा शेरशाह और बंगाल के शासक नुसरत शाह(1534) के युद्ध का साक्ष इतिहास मे है। लखीसराय की स्थापना पाल वंश के दौरान एक धार्मिक-प्रशासनिक केंद्र के रूप में की गई थी। यह क्षेत्र हिंदू और बौद्ध देवी देवताओं के लिए प्रसिद्ध है। बौद्ध साहित्य में इस स्थान को अंगुत्री के नाम से जाना जाता है। इसका अर्थ है- जिला। प्राचीन काल में यह अंग प्रदेश का सीमांत क्षेत्र था। पाल वंश के समय में यह स्थान कुछ समय के लिए राजधानी भी रह चुका है। इस स्थान पर धर्मपाल से संबंधित साक्ष्य भी प्राप्त हुए हैं। जिले के बालगुदर क्षेत्र में मदन पाल का स्मारक (1161-1162) भी पाया गया है। ह्वेनसांग ने इस जगह पर 10 बौद्ध मठ होने के संबंध में विस्तार से बताया है। उनके अनुसार यहां मुख्य रूप से हीनयान संप्रदाय के बौद्ध मतावलंबी आते थे। इतिहास के अनुसार 11वीं सदी में मोहम्मद बिन बख्तियार ने यहां आक्रमण किया था। शेरशाह ने 15वीं सदी में यहां शासन किया था जबकि यहां स्थित सूर्यगढ़ा शेरशाह और मुगल सम्राट हुमायूं (1534) के युद्ध का साक्षी है।

प्रमुख पर्यटन स्थल

संपादित करें

अशोकधाम हिंदू तीर्थयात्रियों के पवित्र स्थानों में से एक है। यहां पाया गया शिवलिंग काफी बड़ा है। यहां खासकर महाशिवरात्रि और सावन के महीने में श्रद्धालुओं की काफी भीड़ होती है। इस स्थान पर कई तरह के धार्मिक अनुष्ठान भी होते रहते हैं। इनमें से मुंडन बहुत लोकप्रिय है। यहां जाने के लिए लखीसराय रेलवे स्टेशन से मोटर वाहन या तांगा से जाया जा सकता है। अशोक धाम एक परच्हैं मन्दिर इस बहुत पुरानी काहानी है लखिसराय में एक चारबाहा जिसका नाम अशोक था वो नित्यदिन गाय चाराने जाया करता था कि वो देखा कि एक बहुत बड़ी शिवलिंग धरती के अन्दर पड़ा है तो वो उस शिवलिंग को उखाड़ने लगा पर वो जस से तस नहीं हुआ तो वो वहीं एक मन्दिर क निर्माण कर दिया। तब से इस मन्दिर का नाम अशोकधाम पड़ गया।

जलप्पा स्थान

संपादित करें

यह स्थान आसपास के क्षेत्रों के अलावा दूर-दराज के इलाकों में भी काफी प्रसिद्ध है। यह धार्मिक स्थान पहाड़ियों पर स्थित है। जलप्पा स्थान मुख्य रूप से गौ पुजा के लिए जाना जाता है। यहां खासकर हर मंगलवार को श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है। यहां जाने के लिए लखीसराय से चानन क्षेत्र होते हुए जीप, टैक्सी अथवा तांगे से जया जा सकता है। पैदल तीर्थयात्री पवई ब्रह्मस्थान हाल्ट रेलवे स्टेशन होते हुए लगभग एक घंटे पैदल चलने के बाद जलप्पा स्थान पहुंचा जा सकता है। साल के प्रारंभ में यहां भारी संख्या में सैलानी आते हैं।

माँ दुर्गा मंदिर तेतरहाट

संपादित करें

माँ दुर्गा मंदिर तेतरहाट गाँव में स्थित है। यह किउल नदी के किनारे है। लखीसराय जंक्शन से सड़क मार्ग की दूरी 11 km दक्षिण में है जो लखीसराय-जमुई( SH18)के किनारे में स्थित है।यहाँ जाने के लिए लखीसराय स्टेशन के पास से ऑटो मिलता है।दशहरे यहाँ बड़ा देखने लायक होता है ,यहाँ दूर्गा पूजा में बहुत बड़ा मेला लगता है यहाँ लगभग 22 गाँव से भी ज्यादा के लोग मेला देखने आते है।और इतना ही नहीं श्रावण माह में देवघर जाने वाले श्रद्धालुओं का यह तांता लगा हुआ रहता है,वो लोग यहाँ पे ठहरते है उन लोगो के लिए यह ठहराने की ब्यबस्था की जाती है। इस मंदिर के पुजारी सुदामा पाण्डेय जी है जो सुबह शाम माँ दुर्गे की आरती करते है और आये हुए श्रद्धालु की देख रेख करते है।

बड़ी माँ दुर्गा स्थान

संपादित करें

लखीसराय शहर के हृदय स्थल नया बाजार दालपट्टी में बड़ी दुर्गा महारानी का भव्य मंदिर स्थापित है। श्री संयुक्त समिति बड़ी दुर्गा पूजा समिति के तत्वावधान में यहां पूजा होती है। बताया जाता है कि 130 वर्ष पूर्व मां दुर्गा के एक भक्त ने 1893 में मंदिर की स्थापना की थी। इसके पूर्व से ही यहां पौराणिक काल से देवी की पूजा की बातें कही जाती रही है। वर्ष 2000 में मंदिर का नव निर्माण पूजा समिति की देखरेख में प्रारंभ हुआ जो निरंतर जारी है। मंदिर की भव्यता व नक्काशी आज भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। वर्ष 2018 में नव दुर्गा माता का प्राणप्रतिष्ठा किया गया । प्रत्येक मंगलवार को महाआरती व महाप्रसाद भोग माता को लगाया जाता है एवं प्रत्येक दिन माता को अलग–अलग व्यंजनो का भोग लगाया जाता है। मंदिर में नवरात्र शुरू होते शहनाई और ढोल की गूंज से वातावरण भक्तिमय होता है।108 फीट ऊंचा यह मंदिर रात के अंधेरे में दुधिया बल्ब की रोशनी में दूर से ही अपनी कला को प्रदर्शित करता है। माना जाता है कि यहां जो भी भक्त माता से मनोकामना करते है माता उससे अवश्य पूरा करती है।

गोबिंद बाबा स्थान

संपादित करें

गोबिंद बाबा का स्थान इस पूर क्षेत्र में पूजनीय है। यह मंदिर मानो-रामपुर गांव में स्थित है। धार्मिक रूप से इस स्थान का काफी महत्व है। इस मंदिर की मुख्य विशेषता यहां का पूजा है जिसको ढ़ाक के नाम से जाना जाता है।

श्रृंगीऋषि

संपादित करें

खड़गपुर की पहाड़ियों पर स्थित यह तीर्थस्थल लखीसराय का श्रृंगार है। यह स्थान जिले के दक्षिण-पूर्व में स्थित है। इसका नाम प्रसिद्ध ऋषि श्रृंगी के नाम पर रखा गया है। किंवदंतियों के अनुसार राजा दशरथ ने अपने चारों पुत्र राम,लक्ष्मण,भरत और शत्रुघ्न का चूड़ाकर्म संस्कार (मुण्डन) यहीं पर किये थे।नूतन वर्ष, श्रावण मास में और विशेष रूप से शिवरात्रि के अवसर पर श्रद्धालुओं की काफी भीड़ यहाँ जुटती है। चारों तरफ से पहाड़ों से घिरा यह अलौकिक स्थान सैलानियों के मन को मोह लेता है ।सबसे विशेष यहां आनेवाले पर्यटकों के लिए पहाड़ों से निकलती स्वच्छ व निर्मल जल जो जलकुण्ड में आकर गिरती है जिसमें घंटों तक लोग स्नान कर आनन्दित होते हैं। यहाँ जाने के लिए लोग किऊल रेलवे जंक्शन से उतरकर जीप से शोभनी गाँव के रास्ते या फिर धनौरी रेलवे स्टेशन से शोभनी ग्राम होते हुए ज्वलप्पा स्थान होकर जा सकते है ।

ब्रह्मस्थान

संपादित करें

यह एक दर्शनीय स्थान है,लखीसराय जिले के पवई गांव में स्थित ब्रह्मस्थान बहुत ही प्रसिद्ध जगह है। मंदिर के आसपास और भी कई मंदिर है चैती दुर्गामाता का मंदिर,हनुमान मंदिर ,शिव-पार्वती मंदिर। मंदिर के बगल में एक बहुत ही बड़ा और स्वच्छ तालाब है। यहां की मामा ब्रह्मदेवता की पूजा पूरे क्षेत्र में प्रसिद्ध है। यहां रेलवे द्वारा पवई ब्रह्मस्थान हाल्ट से एवं सड़क मार्ग से NH-80 द्वारा पहुंचा जा सकता है।

यह एक दर्शनीय स्थान है, यहाँ बहुत सारे मंदिर और तालाब है। दुःखभंजन स्थान, काली स्थान, ठाकुरबाड़ी, क्षेमतरणी, सूर्यमंदिर और साधबाबा इस पूर क्षेत्र में पूजनीय है। यहां छठ के अवसर पर श्रद्धालुओं की काफी भीड़ जुटती है।

अभयनाथ स्थान

संपादित करें

अभयनाथ स्थान, अभयपुर गाँव के दक्षिण में पहाड़ की चोटी पर स्थित है। यह पवित्र स्थान आसपास के इलाके में काफी प्रसिद्ध है। आप इस मंदिर को मसुदन स्टेशन से देख सकते हैं। अभयपुर ग्राम निवासियों का मानना है कि "बाबा अभयनाथ" के नाम पर ही गाँव का नाम "अभयपुर" पड़ा। यहाँ हर सप्ताह के मंगलवार को काफी श्रद्धालु पूजा-पाठ करने आते हैं। यहाँ हर साल आषाढ़ के पूर्णिमा को भव्य पूजा-अर्चना होती है। यहाँ जाने के लिए आपको मसुदन स्टेशन से पैदल लगभग एक किलोमीटर पहाड़ का रास्ता करना पड़ेगा। उसके बाद पहाड़ की चढ़ाई का आनंद लेते हुए आप यहाँ पहुँच सकते हैं।

महावीर मंदिर सलेमपुर

संपादित करें

लक्खीसराय जिले के सूरजगढ़ा सलेमपुर स्थित गाँव मे हनुमान जी का भव्य मंदिर है। यहां पर श्रद्धालुओं की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस मंदिर की खास बात है की यहां बजरंगवली का सिर उल्टा जमीन में है। यहां के बुद्धीजीवि लोग कहते है उनीसवीं सदी में सलेमपुर गाँव मे बहुत प्राकृतिक घटनाये होती थी इसलिए मंदिर के पुजारी ने एक यज्ञअनुष्ठान कराया औ। पुजारी जी ने गाँव के लोगों को कहा यज्ञ अनुष्ठान के दिन और रात कोई भी व्यक्ति गाँव के बाहर नहीं जा सकता पर दुर्गभाग्य बस सुबह सुबह एक महिला गाँव के बाहर चलि गई। तब से ही वहां कोई घटना होती भी है तो एक घर या एक खेत में सीमत कर रह जाता हैं। इस मंदिर में सप्ताह के शनिवार और मंगलवार के दिन बहुत भीड़ उमड़ी रहती है और प्रसाद वितरण होती है।

हवाई मार्ग

हालांकि यह शहर हवाई मार्ग से सीधे तौर पर नहीं जुड़ा हुआ है लेकिन राजधानी पटना से हवाई मार्ग की सुविधा है। जहां से रेल या सड़क मार्ग से लखीसराय पहुंचा जा सकता है। पटना लखीसराय से 132 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

रेल मार्ग

लखीसराय स्टेशन दिल्ली-हावड़ा मुख्य लाईन पर है। इसलिए यह शहर दिल्ली से सीधे जुड़ा हुआ है। किउल जंक्शन पास में होने के कारण यह स्थान बिहार के अन्य क्षेत्रों से भी प्रत्यक्ष तौर पर जुड़ा हुआ है।

सड़क मार्ग

यह जिला राष्ट्रीय राजमार्ग 80 पर स्थित है जो राजधानी पटना से जुड़ा हुआ है। यहां आने के लिए निजी या सार्वजनिक वाहनों का उपयोग किया जा सकता है।

लखीसराय जिले में स्थित सुर्यगढ़ा प्रखंड के जगदीशपुर गांव में स्थित "शिव दुर्गा महावीर मंदिर सुर्यगढ़ा" प्रसिद्ध है। यहां भव्य दुर्गा पुजा का आयोजन होता है जहां पर दुर-दुर से लोग देखने आते हैं। लखीसराय का अशोक धाम मंदिर जहां भगवान भोलेनाथ का अति प्राचीन शिवलिंगी है यहां विशेषकर सावन मास में श्रद्धालुओं की लाखों लाख की भीड़ लखीसराय का अशोक धाम मंदिर जहां भगवान भोलेनाथ का अति प्राचीन शिवलिंगी है यहां विशेषकर सावन मास में श्रद्धालुओं की लाखों लाख की भीड़ रहती है। लखीसराय के लाल पहाड़ी पर बौद्ध धर्म के कई अति प्राचीन अवशेष प्राप्त हुए हैं जिसे बौद्ध सर्किट से जोड़ा जा रहा है। MP Board 12th Blueprint 2023 Archived 2022-12-09 at the वेबैक मशीन Bihar Board 12th Model Paper 2023 Archived 2022-12-09 at the वेबैक मशीन MP Board 10th Blueprint 2023 Archived 2022-12-09 at the वेबैक मशीन

इन्हें भी देखें

संपादित करें
  • [लखीसराय ज़िला]

वरिष्ठ पत्रकार राजीव कुमार रत्नेश की पुस्तक एक ममतामयी मां बाला त्रिपुर सुंदरी ।

  1. "Bihar Tourism: Retrospect and Prospect," Udai Prakash Sinha and Swargesh Kumar, Concept Publishing Company, 2012, ISBN 9788180697999
  2. "Revenue Administration in India: A Case Study of Bihar," G. P. Singh, Mittal Publications, 1993, ISBN 9788170993810