लज्जा तसलीमा नसरीन द्वारा रचित एक बंगला उपन्यास है। यह उपन्यास पहली बार १९९३ में प्रकाशित हुआ था और कट्टरपन्थी मुसलमानों के विरोध के कारण बांगलादेश में लगभग छः महीने के बाद ही इस पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया। इस अवधि में इसकी लगभग पचास हजार प्रतियाँ बिक गयीं।

लज्जा
लेखकतसलीमा नसरीन
भाषाबंगाली
शैलीउपन्यास
प्रकाशन तिथि1993
प्रकाशन स्थानबांग्लादेश
अंग्रेज़ी प्रकाशनअक्टूबर 1997
मीडिया प्रकारप्रिंट
पृष्ठ302
आई.एस.बी.एन1-57392-165-3
ओ.सी.एल.सी37322498
891.4/437 21
एल.सी. वर्गPK1730.3.A65 L3513 1997

बांग्लादेश की विवादित लेखिका तसलीमा नसरीन का बाँग्ला भाषा में लिखा गया यह पाँचवाँ उपन्यास सांप्रदायिक उन्माद के नृशंस रूप को रेखांकित करता है। धार्मिक कट्टरपन को उसकी पूरी बर्बरता से सामने लाने के कारण उन्हें इस्लाम की छवी को नुकसान पहुँचाने वाला बताकर उनके खिलाफ मौलवियों द्वारा सज़ा-ए-मौत के फतवे जारी किए गए। बाँग्लादेश की सरकार ने भी उन्हें देश निकाला दे दिया जिसके बाद उन्हें भारत में शरणार्थी बनकर रहना पड़ा।।

“लज्जा” का आरम्भ होता है ६ दिसम्बर १९९२ को बाबरी मस्जिद तोड़े जाने पर बांग्लादेश के मुसलमानों की आक्रामक प्रतिक्रया से। वे अपने हिन्दू भाई-बहनों पर टूट पड़ते है और उनके सैकडों धर्मस्थलों को नष्ट कर देते हैं। इस कृति के संबंध में तसलीमा लिखती हैे कि- "'लज्जा' को विरोध के प्रतीक के तौर पर देखा जा सकता है। यह विरोध है उस हिंसा, नफरत और मार-पीट के खिलाफ जो धर्म के नाम पर पूरी दुनिया में जारी है।"[1]

  • सुरंजन दत्त
  • सुधामय दत्त- सुरंजन के पिता
  • किरणमयी दत्त- सुरंजन की माँ
  • माया (नीलांजना दत्त)- सुरंजन की बहन

संदर्भ श्रोत

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हरी कड़ियाँ==

  1. तसलीमा, नसरीन (२०१७). लज्जा. नयी दिल्ली: वाणी प्रकाशन. पृ॰ २. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-93-5229-183-0.