संगणक विज्ञान और सॉफ्टवेयर के सन्दर्भ में कम्प्यूटर प्रोग्रामों द्वारा उपयोग किये जाने वाले ऐसे संसाधनों को लाइब्रेरी (library) कहते हैं जो एक बार बनाकर बार-बार उपयोग में लाये जाते हैं। सॉफ्टवेयर विकास में लाइब्रेरियों का बहुत महत्व है। लाइब्रेरी के अन्तर्गत बहुत सी चीजें आतीं हैं जैसे आँकड़े, दस्तावेज, सहायता सम्बन्धी आंकड़े, सन्देश देने के टेम्पलेट, बने-बनाये कोड और सबरोटीन, क्लास, टाइप स्पेसिफिकेशन आदि।

लाइब्रेरी का महत्व इस बात में है कि वे ऐसे मानकीकृत अवयव हैं जो दूसरे प्रोग्रामों में प्रयुक्त किये जाते हैं जिससे प्रोग्राम लिखने में समय की तो बचत होती ही है, त्रुटियाँ भी कम होतीं हैं।

लाइब्रेरी मुख्यतः दो प्रकार की होती है, स्थैतिक लैब्रेरी और गतिक लाइब्रेरी। जो लाइब्रेरियाँ प्रोग्राम को 'बिल्ड' करते समय प्रोग्राम का अंग बना दी जातीं हैं, उन्हें स्थैतिक लाइब्रेरी (static library) कहते हैं। किन्तु कुछ लाइब्रेरियाँ तब काम में ली जातीं हैं जब उनको चाहने वाला प्रोग्राम चलाया जाता है अर्थात जब वह रैम में लोड किया जाता है। ऐसी लाइब्रेरियों को गतिक लाइब्रेरी (dynamic library) कहते हैं। ऐसा भी सम्भव है कि गतिक लाइब्रेरी तब लोड हो जब मुख्य प्रोग्राम का कुछ भाग चल चुका हो।