लालन

बंगाली कवि, संगीतकार और बाल संत

लालन, लालन साईं, लालन शाह, लालन फ़क़ीर या महात्मा लालन (बंगाली: লালন, अंदाज़न 17741890)[1][2] बंगाली बाउल गाना संत, फ़क़ीर, गीतकार, समाज सुधारक तथा चिंतक थे।

ज्योतिरींद्रनाथ टैगोर द्वारा खींचा लालन का एकमात्र चित्र

परिचय संपादित करें

बंगाली संस्कृति में वह धार्मिक सहनशीलता के ग़ाज़ी बन गए जिनके गीतों ने रवीन्द्रनाथ टैगोर,[3][4][5][6] काज़ी नज़रुल इस्लाम,[7] और ऐलन गिंसबर्ग समेत अनेक कवि, समाज सुधारक और चिंतकों को प्रेरणा दी और प्रभावित किया - क्योंकि वह "जाती धर्म के सभी भिन्नताओं को रद्द करते थे"[3] - ज़िन्दगी दौरान और मरने उपरान्त भी वह चोखी चर्चा का विष्य हैं।[8] उनके पैरोकार ज़्यादातर बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल के निवासी हैं। उन्होंने कुश्तिया रेलवे स्टेशन से तक़रीबन 2 कि०मी दूर चेयुरिया में 'लालन अखराह' नाम की संस्था स्थापित की। उनको बौल संगीत के संस्थापक को भी माना जाता है।[9]

सन्दर्भ संपादित करें

  1. Basantakumar Pal. Mahatma Lalon Fakir (Bengali में). Shantipur: (1956), Dhaka (2010?): Pathak Samabesh (Dhaka).सीएस1 रखरखाव: स्थान (link)
  2. Wakil Ahmed (2005). Lalon Geeti Samagra (Bengali में). Dhaka: Baipatra. पृ॰ 12. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 984-8116-46-X.
  3. [1] Archived 2012-06-01 at the वेबैक मशीन Anwarul Karim, Banglapedia
  4. Choudhury 1992,p. 59.
  5. Urban 2001, p. 18.
  6. Tagore, Stewart & Twichell 2003, p. 94.
  7. Hossain 2009,p. 148.
  8. Choudhury 1992,p. 106.
  9. Amanur Aman (16 October 2014). "Five-day Lalon festival begins today". The Daily Star. मूल से 18 अप्रैल 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 18 April 2015.