लालमोहन घोष (१८४९ - १८ अक्टूबर १९०९) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सोलहवें अध्यक्ष और प्रसिद्ध बैरिस्टर थे। ब्रिटिश संसद हेतु चुनाव लड़ने वाले प्रथम भारतीय पुरुष थे।

लालमोहन घोष का जन्म 1849 में बंगाल के कृषनगर में हुआ था। प्रथम श्रेणी में प्रवेश परीक्षा पास करने के बाद वह साल 1869 में वह बैरिस्टर-एट-लॉ की योग्यता हासिल करने के लिए इंग्लैंड चले गए। सन् 1873 में वह कलकत्ता बार से जुड़ गए। वे ब्रिटिश इंडियन एसोसिएशन के मुख्य सदस्य बने और 1879 में वह भारतीयों के दुख और उनकी मांगों को ब्रिटिश जनता के सामने रखने के लिए इंग्लैंड गए। जुलाई 1880 में लॉर्ड हैरिंगटन के साथ वह प्रेस एक्ट और आर्म्स एक्ट और भारतीय सिविल सर्विस परीक्षा की परीक्षा में उम्र सीमा को बढाने के लिए वकालत करने वाली कमेटी के सदस्य रहे। वर्ष 1903 में वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मद्रास अधिवेशन में अध्यक्ष चुने गए। अपने अध्यक्षीय भाषण में उन्होने बंगभंग के पहले ही बता दिया था कि अंग्रेज सरकार बंगाल के विभाजन का षडयन्त्र रच रही है।

लालमोहन घोष के सामाजिक और राजनीतिक विचार काफी हद तक विक्टोरियन इंग्लैंड के उदार मानवतावाद से प्रेरित थे। उनका निधन 18 अक्टूबर 1909 को हुआ था।

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