लियोपोल्ड कैफ़े
कैफ़े लियोपॉल्ड दक्षिण मुंबई के कोलाबा उपनगर में स्थित लोकप्रिय रेस्तराँ और बार है जहाँ बहुत बड़ी संख्या में विदेशी नागरिक खाने-पीने आते हैं। यह मुंबई के सबसे पुराने ईरानी रेस्त्रांओं में से एक है और सुबह आठ बजे से रात १२ बजे तक खुला रहता है। इसकी हॉल (वॉल) ऑफ़ फेम पर मीरा नायर से लेकर हितेश देशमुख तक के फोटो देखे जा सकते हैं। यह रेस्त्राँ अपने अतिथयों से आग्रह करता है कि यदि आप उभरते हुए कवि, लेखक फ़िल्मी सितारे, विदेशी पर्यटक या संगीतकार हैं तो अपने फ़ोटो के साथ एक वाक्य लिखकर भेजें कि आपको यह रेस्त्रां-बार क्यों पसंद है और आपको वॉल ऑफ फ़ेम पर स्थान दिया जाएगा। अपने प्रचार के लिए यह अपने अतिथियों को चित्रित टीशर्ट, मग, गिलास और तश्तरियों की बिक्री भी करता है। ग्रेगोरी डेविड रॉबर्टस के उपन्यास शांताराम में इसकी विस्तार से चर्चा की गई है।
लियोपोल्ड कैफ़े | |||
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लियोपोल्ड कैफ़े बाहर से
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रेस्तरां जानकारी | |||
प्रतीक वाक्य | गेटिंग बेटर विद एज (समय के साथ बेहतर) | ||
स्थापित | १८७१ | ||
भोजन प्रकार | भारतीय, चीनी और कांटीनेंटल | ||
ड्रैस कोड | सामान्य | ||
पता | कोलाबा कॉज़वे | ||
शहर | मुंबई, | ||
राज्य | महाराष्ट्र | ||
देश | भारत | ||
जालस्थल | http://www.leopoldcafe.com/ |
भोजन
लियोपोल्ड कैफ़े रेस्त्रां और बार है। अधिकतर लोग यहाँ शराब पीने और स्नैक्स के लिए आते हैं। लेकिन शराब न पीने वालों के लिए भी यहाँ मॉकटेल का संग्रह है। यह स्थान सैंडविच के लिए प्रसिद्ध है पर यह कैफ़े आउटडोर केटरिंग के लिए भी जाना जाता है। खाने में भारतीय, कॉन्टीनेंटल और चीनी भोजन शामिल है। इसका मेनूकार्ड वेब पर भी उपलब्ध है। उनका विशेष पेय है बीयर टॉवर जो मेज़ पर रखा हुआ एक तीन फुट ऊँचा सीधा खड़ा पाइपनुमा पात्र है। यह आधा बीयर से भरा होता है। अतिथि सुविधानुसार धीरे धीरे इसे अपने पात्र में उड़ेल सकते हैं।
इतिहास
इस कैफ़े की शुरुआत १८७१ में तेल की दूकान के रूप में हुई थी। लियोपोल्ट नाम एक ऑस्ट्रीयन राजा के नाम पर रखा गया। १९८७ में इसे आधुनिक कैफ़े के रूप में सज्जित किया गया। १९९१ में इसमें पब खोला गया। इसका पब भी ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है क्यों कि यह मुंबई में खोला जाने वाला दूसरा और उस समय का सबसे बड़ा पब था। आज भी लियोपोल्ट कैफ़े और बार मुंबई के सबसे लोकप्रिय जमावड़ों के लिए जाना जाता है।[1]
वातावरण
यह होटल पर्यटकों में क्यों लोकप्रिय है यह एक रहस्य ही है। भारतीय चेहरे कम ही दिखाई देते हैं। हाँलाँकि भारतीयों के लिए बिरयानी और लस्सी जैसे रोज खाए जाने वाले व्यंजनों को भी यहाँ पाया जा सकता है। वातावरण में शोर है और धुआँ। शायद इसलिए कि विदेशियों के परिचित सीरियल, टोस्ट, फिश चिप्स और क्लब सैंडविच यहाँ मिलते हैं आमतौर से विदेशी पर्यटक बियर के साथ अपने अनुभवों को मिल बाँटने के लिए यहाँ बैठना पसंद करते हैं।[2] २६ नवम्बर २००८ मुंबई में श्रेणीबद्ध गोलीबारी में यह कैफ़े भी आतंकवादियों का निशाना बना।[3]
विकिमीडिया कॉमन्स पर Leopold Cafe से सम्बन्धित मीडिया है। |
सन्दर्भ
- ↑ "लियोपोल्ड कैफ़े" (अंग्रेज़ी में). लियोपोल्ड कैफ़े. मूल (एचटीएम) से 4 दिसंबर 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ४ फरवरी २००९.
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में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद) - ↑ "लियोपोल्ड कैफ़े" (एचटीएम) (अंग्रेज़ी में). फ्रौम्मर्स. मूल से 3 दिसंबर 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ४ फरवरी २००९.
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में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद) - ↑ "इराक़ में भी इतना डर नहीं लगा था" (एसएचटीएमएल). बीबीसी. मूल से 4 फ़रवरी 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ४ फरवरी २००९.
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में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)