सिरोसिस यकृत की कैंसर के बाद सबसे गंभीर बीमारी है, इस बीमारी का इलाज लीवर प्रत्यारोपण के अलावा और कोई नहीं है। इस रोग में यकृत कोशिकाएं बडे पैमाने पर नष्ट हो जाती हैं और उनके स्थान पर फाइबर तंतुओं का निर्माण हो जाता है। यकृत की बनावट भी असामान्य हो जाती है, जिससे पोर्टल हाइपरटैंशन की स्थिति बन जाती है।[1][2][3][4]

सिरोसिस
वर्गीकरण एवं बाह्य साधन
सिरोसिस रुग्णावस्था में एक व्यक्ति का उदर भारी जलोदर और कैपट मैडयूसा के साथ।
आईसीडी-१० K70.3, K71.7, K74.
आईसीडी- 571
डिज़ीज़-डीबी 2729
मेडलाइन प्लस 000255
ईमेडिसिन med/3183  radio/175
एम.ईएसएच D008103

रोग के लक्षण

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लीवर सिरोसिस होने पर व्यक्ति स्वयं को बीमार महसूस करता है, शुरूआती चरण में कोई खास लक्षण नहीं दिखते, लेकिन जैसे ही बीमारी बढ़ती है लक्षण दिखने शुरू हो जाते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख लक्षण इस प्रकार है. भूख कम लगना और ऊर्जा का कम होना ( थकान),वजन में कमी या फिर अचानक वजन का बढ़ जाना,चोट के निशान की तरह शरीर पर लाल-Inलाल चकते आना,त्वचा व आंखों का रंग पीलापनयुक्त होना,त्वचा में खुजलाहट,एड़ी के जोड़ पर एडिमा होना, सुजन होना तथा पैर और पेट में भी सुजन के लक्षण दिख सकते है,मूत्र का रग भूरां या संतरे के रंग का होना,मल का रंग बदल जाना भ्रम, अनिर्णय, स्थितिभ्रांति जैसी स्थिति का होना या फिर व्यक्तित्व में अन्य कई तरह के बदलाव आना,ल में रक्त आना, बुखार होना इत्यादी लीवर सिरोसिस की पहचान कैसे होगी? लीवर रोग के विशेषज्ञ चिकित्सक इस बीमारी का बड़ी आसानी से पहचान कर लेते हैं. बस उन्हें कुछ शारीरिक जांच या बहुत हुआ तो कुछ रक्त जांच कराने की जरुरत होती है, इस जांच लीवर फंक्शन टेस्ट औक कंप्यूट टोमोग्राफी ( सीटी स्कैन), अल्ट्रासाउंड या फिर एक विशेष जांच फाइब्रोस्कैन से आसानी से इस बीमारी की डायग्नोसिस किया जा सकता है.

  • शराब का अत्यधिक मात्र में सेवन,
  • हेपेटाइटिस बी और वायरल सी का संक्रमण,
  • रक्तवर्णकता (इसमें रुधिर में लौह तत्व की मात्रा बढ़ जाती है।)
  • गैर मादक स्टीटोहेपेटाइटिस (लीवर में वसा का जमाव हो जाने से लीवर धीरे-धीरे नष्ट हो जाता है। मोटापा, डायबिटीज लीवर सिरोसिस का प्रमुख कारण है।)[4]
  • पित्त नली के रोग,
  • सिस्टिक फाइब्रोसिस (सिस्टिक फाइब्रोसिस एक वंशानुगत विकार है जो फेफड़ों, पाचन तंत्र और शरीर के अन्य अंगों को गंभीर नुकसान पहुंचाता है।)
  • विल्सन रोग, जहां जिगर में बहुत अधिक तांबा जमा हो जाता है,
  • ऑटोइम्यून रोग, जो आपके शरीर को यकृत कोशिकाओं पर हमला करने का कारण बनते हैं,
  • कुछ आनुवंशिक पाचन विकार,
  • सिफलिस और ब्रुसेलोसिस सहित कुछ संक्रमण,
  • कुछ दवाओं के लिए खराब प्रतिक्रिया।

लीवर सिरोसिस के लिए अब तक कोई शर्तिया इलाज नहीं है, दवाओं से इसके बढ़ने की प्रक्रिया की रोकथाम की जा सकती है, लीवर की कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त होने से बचाया जा सकता है और इस बीमारी से होने वाली परेशानियों को कम किया जा सकता है. लीवर सिरोसिस का इलाज उसके कारणों पर निर्भर होता है: – शराब पीने से सिरोसिस होता है, तो पहले शराब पीना छोड़े, इससे बीमारी बढ़ने की रफ्तार धीमी हो जाएगी. हेपेटाइटिस बी या सी से पीड़ित सिरोसिस के मरीजों को डाक्टर पहले एंटीवायरल दवाए दे कर लीवर कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त होने से बचाए. अगर कोई मरीज आॅटोइम्युन बीमारी के कारण से या फिर विल्सन डिजिज, या हेमोक्रोमैटोसिस से सिरोसिस से पीड़ित है तो उसके इलाज अलग-अलग होंगे. दवा के जरिये सिरोसिस के लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है. एडिमा या जलोदर का इलाज आहार में नमक को नियंत्रित कर किया जा सकता है. इस दवा को ड्यूराइटिस के नाम से जाना जाता है इसका इस्तेमाल एडिमा के दौरान अतिरिक्त फ्लूड जमा होने पर उसे निकालने के लिए किया जाता है. दवा और आहार की सहायता से इस बीमारी की वजह से मानसिक कार्य प्रभावित होने वाले मरीजों का आरंभिक इलाज किया जाता है. जुलाब जिसे कि लैक्टूलोज कहते हैं इसके उपयोग करने से आंतों से टाक्सिन का तेजी से अवशोषण होता है डॉ प्रवीण शर्मा, गैस्ट्रोइंटेरोलाजिस्ट श्रीगंगा राम अस्पताल

  1. "Cirrhosis – MayoClinic.com". Archived from the original on 9 दिसंबर 2013. Retrieved 17 नवंबर 2018. {{cite web}}: Check date values in: |access-date= and |archive-date= (help)
  2. "Liver Cirrhosis". Review of Pathology of the Liver. Archived from the original on 17 अक्तूबर 2018. Retrieved 31 मार्च 2013. {{cite web}}: Check date values in: |archive-date= (help)
  3. "Pathology Education: Gastrointestinal". Archived from the original on 15 जून 2010. Retrieved 31 मार्च 2013.
  4. पत्रिका समाचार पत्र Archived 2008-09-20 at the वेबैक मशीन (राजस्थान पत्रिका)