लैकोलिथ
लैकोलिथ अन्तर्वेधी आग्नेय शैलों द्वारा निर्मित संरचना है जो मैग्मा के ऊपर उठ कर दो क्षैतिज चट्टानी संस्तरों के बीच गुंबदाकार आकृति में जमा होने से निर्मित होती है।[1][2]
पृथ्वी के भीतरी हिस्से से ऊपर उठता मैग्मा जब दो चट्टानी संस्तरों (परतों) के बीच क्षैतिज रूप से फैलता है, अर्थात ऊपर वाली परत को भेद कर बाहर आने की स्थिति में नहीं होता बल्कि अंदर-अंदर परतों के बीच फैलने लगता है तो इस तरह की संरचनाओं का जन्म होता है जिन्हें अंतर्वेधी आग्नेय शैल संरचना कहा जाता है। लैकोलिथ इसी का एक प्रकार है, यह तब निर्मित होता है जब ऊपरी परत निचली की तुलना में कम मजबूत हो और दोनों परतों के बीच में जमा हो रहा मैग्मा ऊपर की परत को ऊपर की ओर उठा दे तथा एक गुंबद की आकृति में जमा हो। इसके विपरीत सिल नामक संरचना में मैग्मा दोनों परतों के बीच अपने पूरे विस्तार लगभग एक समान मोटाई की एक नई परत के रूप में जमा होता है। लैकोलिथ से ठीक विपरीत संरचना लोपोलिथ की होती है[3] जिसमें निचली परत कमज़ोर होने के कारण मैग्मा की परत एक तश्तरीनुमा आकृति बनाते हुए जमा होता है।
कुछ दशाओं में लैकोलिथ, बैथोलिथ का ही छोटा रूप हो सकता है और कभी-कभी एक बड़े बैथोलिथ के ऊपरी भाग में छोटे लैकोलिथ पाए जा सकते हैं।[4]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 22 अक्तूबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 अक्तूबर 2017.
- ↑ डी आर खुल्लर. Geography Textbook-Hindi. Saraswati House Pvt Ltd. पपृ॰ 1–. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-93-5041-242-8.
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 22 अक्तूबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 अक्तूबर 2017.
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 19 नवंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 अक्तूबर 2017.
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