लैटिन साहित्य के अंतर्गत लैटिन भाषा में रचित निबन्ध, इतिहास, कविता, नाटक आदि आते हैं। लैटिन भाषा का चलन ईसापूर्व तीसरी शताब्दी में आरम्भ हुआ था और इसे प्राचीन रोम की प्रमुख भाषा बनने में २०० वर्ष लग गये। यहाँ तक कि मार्कस औरेलिअस (121–180 AD) के समय में भी बहुत से शिक्षित लोग प्राचीन ग्रीक में ही लिखते-पढ़ते थे। कई अर्थों में लैटिन साहित्य, प्राचीन ग्रीक साहित्य का ही सांतत्य (continuation) था।

लैटिन, प्राचीन रोमवासियों की भाषा थी किन्तु यह पूरे मध्य युग में यूरोप की जनभाषा (लिंगुआ फ्रांका) भी थी। अतः लैटिन साहित्य के अन्दर केवल रोम के लेखक (सिसरो, वर्जिल, ओविद, होरेस आदि) ही नहीं आते बल्कि रोमन साम्राज्य के पतन के बाद के यूरोपीय लेखक (एक्विनास (1225–1274), फ्रांसिस बेकन (1561–1626), बरुच स्पिनोजा (1632–1677) और आइज़क न्यूटन (1642–1727) आदि) भी आते हैं।