जॉन मार्ले

अंग्रेज़ी उदार राजनेता
(लॉर्ड मार्ले से अनुप्रेषित)

जान मॉर्ले (John Morley ; १८३८ - १९२३) ब्रिटेन का पत्रकार, लेखक और कूटनीतिज्ञ था।

The Right Honourable The Viscount Morley of Blackburn OM PC FRS
जॉन मार्ले

Lord Morley of Blackburn


कार्यकाल
6 February 1886 – 20 July 1886
शासक Queen Victoria
प्रधान  मंत्री William Ewart Gladstone
पूर्व अधिकारी W. H. Smith
उत्तराधिकारी Sir Michael Hicks Beach, Bt
कार्यकाल
22 August 1892 – 21 June 1895
शासक Queen Victoria
प्रधान  मंत्री William Ewart Gladstone
The Earl of Rosebery
पूर्व अधिकारी William Jackson
उत्तराधिकारी Gerald Balfour

कार्यकाल
10 December 1905 – 3 November 1910
शासक Edward VII
George V
प्रधान  मंत्री Sir Henry Campbell-Bannerman
H. H. Asquith
पूर्व अधिकारी Hon. St John Brodrick
उत्तराधिकारी The Earl of Crewe
कार्यकाल
7 March 1911 – 25 May 1911
शासक George V
प्रधान  मंत्री H. H. Asquith
पूर्व अधिकारी The Earl of Crewe
उत्तराधिकारी The Earl of Crewe

कार्यकाल
7 November 1910 – 5 August 1914
शासक George V
प्रधान  मंत्री H. H. Asquith
पूर्व अधिकारी The Earl Beauchamp
उत्तराधिकारी The Earl Beauchamp

जन्म 24 दिसम्बर 1838
Blackburn, Lancashire, England
मृत्यु 23 सितम्बर 1923(1923-09-23) (उम्र 84 वर्ष)
राजनैतिक पार्टी Liberal Party
जीवन संगी Rose Mary (d. 1923)
विद्या अर्जन Lincoln College, Oxford

मॉर्ले का जन्म २४ दिसंबर, १८३८ को लंकाशायर के ब्लैकबर्न नगर में हुआ। उसने १८५९ में आक्सफोर्ड के लिंकन कालेज से बी॰ए॰ की उपाधि प्राप्त की। इस वर्ष ही वह लंदन नगर आया और मृतप्राय लिटरेरी गजट का संपादक नियुक्त हुआ। साहित्य और राजनीति मार्ले के प्रिय विषय थे। उसके तथ्ययुक्त विचारपूर्ण लेखों ने उसको शीघ्र ही प्रसिद्ध कर दिया। मिलिटरी गजट का प्रकाशन कुछ समय बाद बंद हो गया किंतु मार्ले के साहित्यिक जीवन की ठोस नींव इस काल में पड़ गई। वह १८६७ में फोर्टनाइटली रिव्यू का संपापदक नियुक्त हुआ और १८८३ तक इस पद पर कार्य करता रहा। इस बीच उसने १८६८ से १८७० तक दैनिक मार्निग स्टार और १८८० से १८८३ तक पाल माल गजट का भी संपादन किया। १८८३ से १८८५ तक वह मेंकमिलंस मैगज़ीन का संपादक रहा। सुप्रसिद्ध साहित्यिक और राजनीतिक पुरूषों के जीवनकार्यों का उसने विशेष अध्ययन किया और उनकी जीवनियाँ लिखीं। 'एडमंड बर्क'- एक ऐतिहासिक अध्ययन का प्रकाशन १८६७ में हुआ। फ्रांस के वोल्तेर, रूसो, दिदेरी और विश्वकोशकारों तथा इंग्लैंड के रिचर्ड काबडेन की जीवनियाँ इस काल में प्रकाशित हुईं। १८७४ में उसका प्रसिद्ध निबंध 'कंप्रोमाइज' प्रकाशित हुआ। इस निबंध ने मार्ले को दार्शनिकों की पंक्ति में स्थान दिला दिया। वालपोल, आलिवर क्रामवेल और ग्लेडस्टन की जीवनियाँ १८८९, १९०० और १९०३ में प्रकाशित हुई। मॉर्ले की अन्य दो प्रसिद्ध कृतियाँ 'स्टडीज इन लिटरेचर' और 'द स्टडी आव लिटरेचर' भी शताब्दी के अंतिम दशक में प्रकाशित हुई।

मॉर्ले ने १८६९ में अपने नगर से और १८८० में वेस्टमिस्टर से पार्लियामेंट में पहुँचने का असफल प्रयत्न किया। १८८३ में वह न्यूकासिल आन टाइन से पार्लियामेंट का सदस्य चुन लिया गया। इसी वर्ष उसकी अध्यक्षता में लीड्स में उदारदल का वृहत् सम्मेलन हुआ। प्रतिनिधि व्यवस्था और निर्वाचन पद्धति में सुधार के संबंध में सम्मेलन के महत्वपूर्ण निर्णयों ने उदारदल के प्रभाव में वृद्धि की। मॉर्ले ने समान निर्वाचन क्षेत्रों, नगरों और काउंटियों में समान मताधिकार योग्यता तथा सदस्यों को वेतन देने के पक्ष में देश भर में जनमत तैयार किया। आयरलैण्ड के राष्ट्रीय आंदोलन के प्रति भी मॉर्ले की पूर्ण सहानुभूति थी। उस देश को स्वशासन का अधिकार देने के प्रश्न पर वह ग्लैडस्टन के विचारों से सहमत था। ग्लैडस्टन ने उसको १८८६ ई॰ में आयरलैंड का सचिव नियुक्त किया। बहुमत द्वारा समर्थन के अभाव में आयरलैंड के प्रश्न पर छह मास में ही सरकार की पराजय हो गई पर मॉर्ले अपने क्षेत्र से फिर चुन लिया गया। १८९२ में उदार दल की सरकार बनने पर प्रधानमंत्री ग्लेडस्टन ने मॉर्ले को दुबारा आयरलैंड का सचिव नियुक्त किया। आयरलैंड की समस्या को हल करने में मॉर्ले को सफलता नहीं मिली। दल के मतभेदश् ने इस संबंध के कानून को पार्लियामेंट में स्वीकृत नहीं होने दिया। १८९५ में उदार दल की सरकार भंग हो गई और अगले दस वर्षो तक शासनसूत्र अनुदार दल के हाथ में रहा। मॉर्ले ने इस अवधि में कई उत्तम रचनाएँ देश को दीं। १९०२ में एंड्रू कार्नेगी ने लार्ड एक्टन का मूल्यवान् पुस्तकालय खरीदकर मॉर्ले को भेंट किया। मॉर्ले ने उसे केंब्रिज विश्वविद्यालय को सौंप दिया।

१९०५ में उदार दल की सरकार बनने पर मॉर्ले भारत सचिव के पद पर नियुक्त हुआ। भारत के राष्ट्रीय आंदोलन को दबाने के लिये उसने १९०७ में कठोर कानून की सृष्टि की। देश की एकता के लिये घातक सांप्रदायिक निर्वाचन प्रणाली के जन्मदाता १९०९ के कानून की रचना में उसका प्रमुख हाथ था। ब्लेमबर्न के वाइकाउंट का पद देकर १९०८ में सरकार ने मॉर्ले का सम्मान किया। तबसे जीवन के अंतिम दिन तक वह लार्ड सभा का सदस्य रहा। १९०९ में उसके विशेष प्रयत्न से लार्ड सभा ने अर्थबिल पर स्वीकृति दी थी। १९१० से १९१४ तक कौंसिल के प्रेसीडेंट का पद भी उसने सँभाला।

मॉर्ले शांतिवादी था। १९१४ में प्रथम विश्वयुद्ध प्रारंभ होने पर उसने स्वयं ही लार्ड प्रेसीडेंट का पद त्याग दिया। १९१७ में उसके संस्मरण प्रकाशित हुए। २३ सितंबर, १९२३ को विल्लेडन में उसकी मृत्यु हुई।