लॉर्ड मेयो

लार्ड मेयो की हत्या एक अफगान ने की थी ।।।

लॉर्ड मेयो भारत के गवर्नर जनरल रहे थे।

लॉर्ड मेयो
जन्म 21 फ़रवरी 1822[1][2][3]
डबलिन
मौत 8 फ़रवरी 1872[1][2] Edit this on Wikidata
पोर्ट ब्लेयर Edit this on Wikidata
मौत की वजह मानव हत्या Edit this on Wikidata
नागरिकता ग्रेट ब्रिटेन और आयरलैंड का यूनाइटेड किंगडम Edit this on Wikidata
शिक्षा ट्रिनिटी कॉलेज, डबलिन Edit this on Wikidata
पेशा राजनीतिज्ञ Edit this on Wikidata
पदवी भारत के गवर्नर जनरल Edit this on Wikidata
राजनैतिक पार्टी कंजर्वेटिव पार्टी (यूके) Edit this on Wikidata
उल्लेखनीय कार्य {{{notable_works}}}

मृत्यु 8 फरवरी 1872

शेर अली खान भारतीय होने के साथ साथ राष्ट्र प्रेमी भी थे उन्होंने गवर्नर जनरल लार्ड मेयो को मौत के घाट उतारा दिए थे गर्वनर जनरल लॉर्ड मेयो ने अंडमान निकोबार के पोर्ट ब्लेयर में सेलुलर जेल के कैदियों के हालात जानने और सिक्योंरिटी इंतजामों की समीक्षा करने के लिए वहां का दौरा करने का मन बनाया । शायद मेयो का काम पूरा हो भी चुका था। शाम सात बजे का वक्त था, लॉर्ड मेयो अपनी बोट की तरफ वापस आ रहा था। उसकी बेटी "लेडी मेयो" उस वक्त बोट में ही उसका इंतजार कर रही थीं।

गवर्नर जनरल का कोर सिक्योरिटी दस्ता जिसमें 12 सिक्योरिटी ऑफिसर शामिल थे, वो भी साथ साथ चल रहे थे। इधर शेर अली अफरीदी खुद चूंकि इसी सिक्योरिटी दस्ते का सदस्य रह चुका थे , इसलिए बेहतर जानते थे कि वो कहां चूक करते हैं और कहां लापरवाह हो जाते हैं। हथियार उसके पास था ही, उसके नाई वाले काम का खतरनाक

गोली

औजार,उस्तरा उसके साथ था।

लार्ड मेयो जैसे ही बोट की तरफ बढ़े, उनका सिक्योरिटी दस्ता थोड़ा बेफिक्र हो गया कि चलो पूरा दिन ठीकठाक गुजर गया। वैसे भी गवर्नर जनरल तक पहुंचने की हिम्मत कौन कर सकता है,गवर्नर की सिक्योरिटी बेधने की कौन सोचेगा! लेकिन उनकी यही बेफिक्री उसके जिंदगी की सबसे बड़ी भूल हो गई। पोर्ट पर अंधेरा था, उस वक्त रोशनी के इंतजामात बहुत अच्छे नहीं होते थे।

फरवरी के महीने में वैसे भी जल्दी अंधेरा हो जाता है, बिजली की तरह एक साया छलावे की तरह वायसराय की तरफ झपटे, जब तक खुद लार्ड मेयो या सिक्योरिटी दस्ते के लोग कुछ समझते इतने खून में सराबोर हो चुका था लॉर्ड मेयो कि मौके पर ही मौत हो जाती है।

लॉर्ड मेयो की याद में उसी साल ढूंढे गए एक नए द्वीप का नाम रख दिया गया।

मेयो के द्वारा 1872 मे प्रायोगिक जनगणना करवाई गई।

मेयो द्वारा 1872 में कृषि विभाग तथा अजमेर में मेयो कॉलेज की स्थापना की गई।

सन्दर्भ संपादित करें

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