लोकप्रिय संस्कृति में धारावाहिक

लोकप्रिय संस्कृति में धारावाहिक संपादित करें

परिचय संपादित करें

 

धारावाहिक एक लंबे समय तक चलने वाला टेलीविजन शो होता है जो आमतौर पर एक कहानी का अनुसरण करता है। धारावाहिक एक लोकप्रिय मनोरंजन रूप है जो दुनिया भर में देखा जाता है। भारत में, धारावाहिक लोकप्रिय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। वे भारतीय समाज और संस्कृति पर एक गहरा प्रभाव डालते हैं।

भारत में धारावाहिकों का इतिहास संपादित करें

 
Doordarshan

भारत में धारावाहिकों का इतिहास 1960 के दशक में शुरू होता है। उस समय, भारतीय टेलीविजन का प्रसारण दूरदर्शन द्वारा किया जाता था। दूरदर्शन द्वारा प्रसारित किए गए पहले धारावाहिकों में शामिल थे "हम लोग" (1969), "मुंगेरीलाल के हसीन सपने" (1970), और "रजनी" (1975)। इन धारावाहिकों ने भारतीय दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया और उन्हें धारावाहिकों के प्रति आकर्षित किया।

1980 के दशक में, भारतीय टेलीविजन में निजी चैनलों की शुरुआत हुई। निजी चैनलों ने धारावाहिकों के निर्माण और प्रसारण में निवेश किया, जिससे धारावाहिकों की संख्या में वृद्धि हुई। 1980 के दशक के कुछ लोकप्रिय धारावाहिकों में शामिल थे "तारक मेहता का उल्टा चश्मा" (1988), "कुटुंब" (1999), और "ये है मोहब्बतें" (2009)।

1990 के दशक में, भारत में धारावाहिकों का स्वर्ण युग शुरू हुआ। इस अवधि के दौरान, भारतीय धारावाहिक दुनिया भर में लोकप्रिय हो गए। 1990 के दशक के कुछ लोकप्रिय धारावाहिकों में शामिल थे "हम पांच" (1995), "कहानी घर घर की" (1999), और "कसौटी जिंदगी की" (2001)।

2000 के दशक में, भारतीय धारावाहिक अधिक विविधतापूर्ण हो गए। इस अवधि के दौरान, कई नए धारावाहिकों ने प्रसारण शुरू किया, जिनमें रोमांस, एक्शन, अपराध, और कॉमेडी शामिल हैं। 2000 के दशक के कुछ लोकप्रिय धारावाहिकों में शामिल थे "दिल मिल गए" (2007), "कसम से" (2009), और "दिया और बाती हम" (2011)।

2010 के दशक में, भारतीय धारावाहिक ने इंटरनेट पर भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। कई भारतीय धारावाहिकों को ऑनलाइन स्ट्रीम किया जाने लगा, जिससे उन्हें दुनिया भर के दर्शकों तक पहुंचने की अनुमति मिली। 2010 के दशक के कुछ लोकप्रिय धारावाहिकों में शामिल थे "ये रिश्ता क्या कहलाता है" (2009), "कुछ तो है" (2013), और "कुमकुम भाग्य" (2014)।

धारावाहिक लोकप्रिय संस्कृति पर प्रभाव संपादित करें

धारावाहिक लोकप्रिय संस्कृति पर एक गहरा प्रभाव डालते हैं। वे सामाजिक मानदंडों, लिंग भूमिकाओं, और परिवार के गतिशीलता को आकार देने में मदद करते हैं। धारावाहिक फैशन, भाषा, और संगीत को भी प्रभावित करते हैं।

सामाजिक मानदंडों पर प्रभाव संपादित करें

धारावाहिक सामाजिक मानदंडों को आकार देने में मदद करते हैं। वे दर्शकों को यह सिखा सकते हैं कि क्या सही है और क्या गलत है। उदाहरण के लिए, कुछ धारावाहिक लैंगिक समानता को बढ़ावा देते हैं, जबकि अन्य पारंपरिक लिंग भूमिकाओं को बढ़ावा देते हैं।

लिंग भूमिकाओं पर प्रभाव संपादित करें

धारावाहिक लिंग भूमिकाओं को आकार देने में भी मदद करते हैं। वे दर्शकों को यह सिखा सकते हैं कि पुरुष और महिलाओं को कैसे व्यवहार करना चाहिए। उदाहरण के लिए, कुछ धारावाहिक पुरुषों को मजबूत और स्वायत्त होने के रूप में चित्रित करते हैं, जबकि अन्य महिलाओं को कमजोर और निर्भर होने के रूप में चित्रित करते हैं।

References: संपादित करें

  • "Indian television serials: A history and analysis." By Arvind Singhal and Everett M. Rogers. In The mass media and social change, edited by Everett M. Rogers, pp. 223-241. New York: Sage Publications, 2003.
  • "Indian television serials: A study of the portrayal of women." By Swati A. Rane. In Indian women: The changing scenario, edited by Swati A. Rane, pp. 185-201. New Delhi: Sage Publications, 2006.
  • "The role of Indian television serials in shaping popular culture." By Ashish Rajadhyaksha. In Indian popular culture: Iconic media, artifacts, and lifestyles, edited by Ashish Rajadhyaksha and Paul Willemen, pp. 171-186. New Delhi: Oxford University Press, 2015.