लोहरदगा (Lohardaga) या लोहरदग्गा भारत के झारखण्ड राज्य के लोहरदगा ज़िले में स्थित एक शहर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है।[1][2] लोहरदगा जिला में आपका स्वागत है । इसका मुख्यालय लोहरदगा है ।

  1. लोहरदगा जिला का गठन 1983 में हुआ था ।
  2. लोहरदगा जिला का छेत्रफल 1.502 वर्ग किलोमीटर है 2011 के जनगणना के अनुसार
  3. कुल जनसंख्या 4,61,790 है | पटना की 2024 जनसंख्या अब 2,633,243 अनुमानित है।
  4. पुरुष जनसंख्या 2,32,629 है
  5. महिला जनसंख्या 2,29,161 है
  6. बाल जनसंख्या 77,649
लोहरदगा / लोहरदग्गा
Lohardaga
ᱞᱚᱦᱚᱨᱫᱟᱜᱟ
लोहरदगा is located in झारखण्ड
लोहरदगा
लोहरदगा
झारखंड में स्थिति
निर्देशांक: 23°26′N 84°41′E / 23.43°N 84.68°E / 23.43; 84.68निर्देशांक: 23°26′N 84°41′E / 23.43°N 84.68°E / 23.43; 84.68
देश भारत
प्रान्तझारखण्ड
ज़िलालोहरदगा ज़िला
जनसंख्या (2011)
 • कुल57,411
भाषाएँ
 • प्रचलितहिन्दी
समय मण्डलभामस (यूटीसी+5:30)
वेबसाइटlohardaga.nic.in

ऐतिहासिक तथ्य लोहरदगा शहर के बीचों बीच विक्टोरिया तालाब की। इस तालाब का निर्माण कैदियों ने किया था।महारानी विक्टोरिया का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज करने और हमेशा जिंदा रखने के लिए इस तालाब की खुदाई कराई गई थी। लगभग 22 एकड़ भूमि में अंग्रेजी हुकूमत ने कैदियों से इस तालाब का निर्माण कराया था। यह बात 1857 से लेकर 1881 के बीच की है। अंग्रेजी हुकूमत के दृष्टिकोण से लोहरदगा का इतिहास और विक्टोरिया तालाब की पहचान काफी पुरानी है। परतंत्र भारत में लोहरदगा सामरिक गतिविधि का केंद्र था। तभी तो अंग्रेजों ने 1833 में साउथ वेस्ट फ्रंटियर एजेंसी का प्रशासकीय इकाई का मुख्य मुख्यालय लोहरदगा को बनाया था। 1857 में भी छोटानागपुर कमिश्नरी का प्रमुख नगर था। 1881 तक आर्मी का नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर पोस्ट का मुख्यालय रहा। ब्रिटिश हुकूमत ने इसे अपनी महारानी के सम्मान में इसका नामकरण विक्टोरिया कर दिया। इसलिए लोग इसे विक्टोरिया तालाब भी कहते हैं।

लोहरदगा वनाच्छादित पहाड़ों, झरनों, ऐतिहासिक धरोहरों और प्रकृति के अनमोल उपहारों से सजा लोहरदगा झारखंड में स्थित है। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि पहले यह लोहा गलाने का बड़ा केन्द्र था। इसलिए इसका नाम लोहरदगा रखा गया था। इसके पीछे उनका तर्क है कि लोहरदगा दो शब्दों लोहार और दग्‍गा से मिलकर बना है। लोहार का अर्थ होता है लोहे का व्यापारी और दग्‍गा का अर्थ होता है केन्द्र।

जैन पुराणों के अनुसार भगवान महावीर ने लोहरदगा की यात्रा की थी। जहां पर भगवान महावीर रूके थे उस स्थान को लोर-ए-यादगा के नाम से जाना जाता है। लोहरदगा का इतिहास काफी गौरवशाली है। इसके राजाओं ने यहां पर अनेक किलों और मन्दिरों का निर्माण कराया था। इनमें कोराम्बे, भान्द्रा और खुखरा-भाकसो के मन्दिर और किले प्रमुख हैं।

प्रमुख आकर्षण

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रीति रिवाज

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लोहरदगा की रीति-रिवाज और संस्कृति बहुत रंग-बिरंगी और अनूठी हैं। इसके रीति-रिवाजों के अनुसार लड़के की पहली शादी महुआ के वृक्ष के साथ और लड़की की पहली शादी आम के पेड़ के साथा कराई जाती है। इस रिवाज के संबंध के स्थानीय निवासियों का कहना है कि जिन वृक्षों से उनकी शादी कराई जाती है वह उन वृक्षों की जीवन पर्यन्त देखभाल करेंगे।

धरधारिया जलप्रपात

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लोहरदगा के सेन्हा प्रखण्ड में धरधारिया जलप्रपात स्थित है। इसके आस-पास का नजारा भी काफी खूबसूरत है जो पर्यटकों को बहुत पसंद आता है। झारखंड सरकार के अनुसार यहां पर पर्यटन उद्योग में असीमित संभावनाएं हैं। अत: सरकार वहां पर पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए नई परियोजनाओं को शुरू कर रही है।

लावापानी जलप्रपात

लोहरदगा जिले के पेशरार प्रखंड में स्थित लावापानी जलप्रपात अपनी मनमोहक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। यह जलप्रपात सात सीढ़ियों में बहते हुए लावा जैसा प्रतीत होता है, जो दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देता है। जिला मुख्यालय से 37 किलोमीटर दूर स्थित यह जलप्रपात प्राकृतिक सुंदरता का खजाना है। हसीन वादियों से घिरा यह क्षेत्र पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। नव वर्ष के अवसर पर लावापानी जलप्रपात विशेष रूप से लोकप्रिय होता है, जब भारी संख्या में लोग यहां उत्सव मनाने के लिए आते हैं। यहां आगंतुक प्रकृति की गोद में शांत वातावरण का आनंद ले सकते हैं, घंटों टहल सकते हैं और प्राकृतिक दृश्यों का आनंद ले सकते हैं।[3]

महादेव मंडा

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धरधारिया जलप्रपात देखने के बाद पर्यटक महादेव मंडा घूमने जा सकते हैं। यह प्राकृतिक रूप से बहुत खूबसूरत है। अत्यंत खूबसूरत होने के बावजूद इसे अभी तक वह स्थान नहीं मिल पाया है जो इसे मिलना चाहिए था। महादेव मंडा के पास ही कंडरा और कोराम्बे घूमने जाया जा सकता है। यह दोनों पर्यटक स्थल महादेव मंडा की भांति ही खूबसूरत हैं और मंडा की अपेक्षा यहां पर पर्यटकों के लिए ज्यादा सुविधाएं हैं।

यह एक मुख्य आदिवासी पर्व है।

वायु मार्ग

बिरसा मुंडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा लोहरदगा के पास स्थित है। हवाई अड्डे से बसों व टैक्सियों द्वारा लोहरदगा तक पहुंचा जा सकता है।

रेल मार्ग

लोहरदगा मीटर गेज रेलवे लाईन द्वारा रांची से जुड़ा हुआ है।

सड़क मार्ग

रांची और राउरकेला राज्य-राजमार्ग से पर्यटक आसानी से लोहरदगा तक पहुंच सकते हैं।

इन्हें भी देखें

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बाहरी कड़ियाँ

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  1. "Tourism and Its Prospects in Bihar and Jharkhand Archived 2013-04-11 at the वेबैक मशीन," Kamal Shankar Srivastava, Sangeeta Prakashan, 2003
  2. "The district gazetteer of Jharkhand," SC Bhatt, Gyan Publishing House, 2002
  3. "लोहरदगा का लावापानी जलप्रपात, खूबसूरती ऐसी की देखते रह जाएंगे". प्रभात खबर. अभिगमन तिथि 7 मई 2024.

https://www.jagran.com/jharkhand/ranchi-to-register-queen-victoria-name-in-history-pond-digged-in-lohardaga-in-22-acre-land-20735458.html