लोहारू दुर्ग वर्ष 1570 ईस्वी में ठाकुर अर्जुन सिंह द्वारा बनाया गया था। [1] राव शेखा ने मूल रूप से शेखावाटी को 33 ठिकानों में विभाजित किया था, जिनमें से लोहारू दुर्ग 33 वां था। तब यह एक छोटा गाँव था, जिसमें एक कच्चा (मिट्टी से बना) किला था जो सन १८०० ई तक मौजूद था।

Loharu Fort
सामान्य विवरण
अवस्था पूर्ण

लोहारू किले पर 2 बड़े युद्ध लड़े गए हैं। पहला युद्ध 1671 ई में ठाकुर मदन सिंह और हिसार के मुगल गवर्नर के बीच हुआ था और यह भूमि राजस्व पर लड़ा गया था। दूसरा युद्ध खेतड़ी के ठाकुर कीरत सिंह और राजा भूपाल सिंह के बीच हुआ।। इस लड़ाई में राजा भोपाल सिंह किले के बाहर की मारे गए थे। उनके सम्मान में एक छतरी का निर्माण उस स्थान पर किया गया था जहाँ उनका अन्तिम संस्कार किया गया था। यह छतरी किले से लगभग १ किलोमीटर की दूरी पर है।

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